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सजा में रियायत के लिए लालू ने अदालत में क्या-क्या दलीलें पेश कीं

रांची/ नई दिल्ली। जब तक सत्ता में रहे तो कभी भी जेल के हालात के बारे में नहीं सोचा और अब जब वह देवघर चारा घोटाले मामले में जेल में सजा काट रहे हैं, तो उन्हें वहां एक के बाद दिक्कतें दिखाई दे रही हैं जिसकी शिकायत कोर्ट में कर रहे हैं.

साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपए निकालने का दोष है. तब लालू यादव ही बिहार के मुख्यमंत्री थे. हालांकि, ये पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रुपए का है, जिनमें से एक मामला देवघर कोषागार से जुड़ा केस जुड़ा हुआ है.

लालू की दलीलें

लालू अब जेल में हैं और वह वकील के सहारे जज साहब से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें सजा कम दी जाए क्योंकि जेल में वो सुविधाएं नहीं हैं, जिसके वह अभ्यस्त रहे हैं. हालांकि चारा घोटाले के मामले में शुक्रवार को भी सजा का ऐलान नहीं हुआ. अब यह सजा शनिवार को दोपहर सुनाई जाएगी .

खास बात यह है कि कम सजा पाने के लिए वो खुद और उनके वकील एक के बाद एक ऐसी दलीलें पेश कर रहे हैं जिस पर किसी को हंसी ही आ सकती है. अगर उन्होंने सत्ता में रहने के दौरान इन कमियों को दूर करने की कोशिश की होती तो आज उन्हें यह शिकायत नहीं करनी पड़ती. जानते हैं जेल को लेकर क्या है उनकी शिकायतें.

लालू बोले- मुझे किडनी की बीमारी

जेल को लेकर लालू की शिकायतें खत्म नहीं हो रही थी. शुक्रवार को कोर्ट में फैसला आने से पहले लालू की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेशी हुई. लालू की तरफ से वकीलों ने कम सजा दिलाने के लिए कुछ और बहाने किए. वकील की ओर से पेश दलील में कहा गया कि उन्हें किडनी की बीमारी है, डायबिटीज के मरीज हैं और उनके दिल का ऑपरेशन भी हो चुका है. इसलिए उन्हें कम से कम सजा दी जाए.

जेल में नहीं मिलता शुद्ध नहीं

शायद वकीलों को लगा कि मामला बनता नहीं दिख रहा तो अब उन्होंने जेल की अव्यवस्था के बारे में शिकायत करने का दांव चला. वकीलों की अगल दलील थी, बिरसा मुंडा जेल में इन्फेक्शन होने का डर है इसलिए उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें कम सजा दी जाए. उनकी ओर से सबसे अनोखी दलील थी कि जेल में शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं है, इसलिए उनकी किडनी पर असर पड़ सकता है.

जेल में बहुत ठंड

इससे पहले रांची स्थित विशेष सीबीआई अदालत से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू यादव ने उस समय शिकायत की कि जेल में ठंड बहुत है जब जज ने उनसे पूछा कि कोई दिक्कत तो नहीं है. लालू का जवाब सुनकर जज ने कहा, तो तबला बजाइए.

जज शिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद की ओर इशारा कर करते हुए एक और सवाल पूछा, “जेल में कोई दिक्कत तो नहीं?” जवाब में लालू ने कहा, “साहब जेल में मेरे परिचितों को मुझसे मिलने नहीं दिया जा रहा है.” जिस पर जज ने कहा, “इसीलिए तो आपको अदालत में बुलाते हैं जिससे आप सबसे मिल सकें.”

अब शनिवार को यह फैसला आएगा. लालू के वकील चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस केस में अगर लालू और अन्य को दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम 7 साल और न्यूनतम 1 साल की कैद की सजा होगी. जबकि सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है. लालू को अगर 3 साल से कम की सजा सुनाई जाती है तो उन्हें तुरंत बेल मिल सकती है जबकि इससे अधिक सजा पर वकीलों के बेल के लिए हाईकोर्ट का रुख करना पड़ेगा.