कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने आई भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला प्रोफेसर निताशा कौल को बंगलूरू हवाईअड्डे से वापस लंदन भेजने के मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कर्नाटक के मंत्रियों ने इस घटना को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कर्नाटक के समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा ने सोमवार को कहा कि केंद्र का इनकार इस बात का उदाहरण है कि कैसे राज्य सरकारों के अधिकारों को बार-बार कुचला जा रहा है।
कर्नाटक सरकार के मंत्रियों ने खोला मोर्चा
उन्होंने आगे कहा कि यह घटना दिखाती है कि कैसे व्यक्तिगत अधिकारों के साथ-साथ राज्य सरकारों के अधिकारों को भी कुचला जा रहा है। यह कर्नाटक सरकार का अधिकार है कि वह संविधान पर एक सम्मेलन आयोजित करे और ऐसे विशेषज्ञों की मेजबानी करे जो राज्य के विकास और राष्ट्रीय हित को आगे बढ़ाने में सार्थक योगदान दे सकें।
वहीं, बड़े और मध्यम उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि घटना से पता चलता है कि भारत में किस प्रकार का लोकतंत्र है, भाजपा कैसे संविधान और बोलने की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की स्थिति का सम्मान करती है। पाटिल ने कहा कि वे (भाजपा) स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश करते हैं। यह हमारे देश के लिए अच्छी बात नहीं है क्योंकि हमारे देश में बाबा साहेब अंबेडकर ने एक विश्व स्तरीय संविधान दिया है, जहां सभी के विचारों का सम्मान किया जाता है और सभी को बात करने की आजादी है।
भाजपा ने किया पलटवार
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने उन्हें आमंत्रित करने के लिए कर्नाटक सरकार की निंदा की। विजयेंद्र ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर कहा कि संविधान और भारत की एकता पर बातचीत के लिए अपनी हमदर्द निताशा कौल को आमंत्रित करके ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ के अपराधों पर पर्दा डालना सिद्धारमैया सरकार के लिए बेहद घृणित है।