नई दिल्ली। तमाम विवादों के बीच आम आदमी पार्टी ने दिल्ली से तीन राज्यसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के अलावा दो बाहरी व्यक्तियों को राज्यसभा भेजने का एलान किया है। जिसमें एक नाम एनडी गुप्ता का और दूसरा नाम सुशील गुप्ता है। सुशील गुप्ता पूर्व कांग्रेस नेता हैं। जिन्होंने अभी नवंबर महीने में ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था। कांग्रेस में रहते हुए सुशील गुप्ता लगातार आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर हमला किया करते थे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर केजरीवाल को सुशील गुप्ता के भीतर ऐसा क्या दिखा कि उनके मुरीद हो गए। सवाल ये भी है कि क्या राज्यसभा की सीटों के लिए कोई बड़ा खेल हुआ है।
पूर्व कांग्रेसी नेता सुशील गुप्ता ने साल 2013 में दिल्ली की मोती नगर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। वो इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। बुधवार को जैसे ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने राज्यसभा के लिए सुशील गुप्ता के नाम का एलान किया कांग्रेस नेताओं ने केजरीवाल के खेल की पूरी पोल खोलकर रख दी। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के इस फैसले पर आश्चर्य जताते हुए इशारों ही इशारों में ये भी बता दिया कि सुशील गुप्ता राज्यसभा में जाने के लायक नहीं थे। फिर भी केजरीवाल ने उन्हें उच्च सदन भेज दिया है। राज्यसभा सीटों को लेकिर सेटिंग नवंबर से ही चल रही थी।
दरसअल, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने बताया कि अभी 28 नवंबर को ही सुशीलगुप्ता उनके पास अपना इस्तीफा लेकर आए थे। इस्तीफे पर जब अजय माकन ने सुशील गुप्ता से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि उनके पास राज्यसभा के टिकट की पेशकश है। सुशील गुप्ता की इस बात पर आश्चर्य जताते हुए अजय माकन ने उसी समय उनसे कह दिया था कि ये असंभव है। लेकिन, अब पता चला कि 28 नवंबर को सुशील गुप्ता ने अजय माकन को जो बताया था वो सही निकला। मतलब साफ है कि आम आदमी पार्टी नवंबर महीने या फिर उससे भी पहले से सुशील गुप्ता के संपर्क में थी। अजय माकन का कहना है कि सुशील अच्छे व्यक्ति हैं। जो अपनी चैरिटी के लिए जाने जाते हैं।
सुशील दिल्ली के बड़े बिजनेसमैन हैं। 2013 के हलफनामे में उन्होंने अपनी संपति 164 करोड़ रुपए बताई थी। सुशील गुप्ता के दिल्ली में दस से ज्यादा चैरिटेबल हॉस्पिटल और कई स्कूल चल रहे हैं। सुशील महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल और स्कूल के ट्रस्टी भी हैं। इसके अलावा वो गंगा इंटरनेशनल स्कूल भी चलाते हैं। लेकिन, ये खूबियां ऐसी नहीं है कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाए। वो भी तब जब वो कांग्रेस में रहते हुए केजरीवाल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों की कमान संभालते हों। ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं जो केजरीवाल का विरोध करने वाला कांग्रेस नेता उनका चहेता कैसे बन सकता है। कई लोग केजरीवाल के इस फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। लेकिन, जवाब किसी को नहीं मिल रहा।