प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में 370 भाजपा को सीटें मिलने और एनडीए के 400 के पार जाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को समर्थन देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एनडीए के प्रदेश में सभी 80 सीटों को जीतने का दावा किया है। मुख्यमंत्री के इस दावे को प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और बृजेश पाठक समर्थन देते हुए बल देते हैं, लेकिन भाजपा के लक्ष्य रथ को रोकने के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इंडिया एलाएंस के बैनर तले साथ आ गई है। समाजवादी पार्टी के संजय लाठर कहते हैं कि हम भाजपा के इस रथ को उ.प्र. इस बार रोक देंगे।
कांग्रेस महासचिव अविनाश पाडे और अजय राय को भी इस गठबंधन से बड़ी उम्मीद है। आखिलेश यादव न केवल भाजपा को उ.प्र. की लोकसभा की 80 सीट में से आधी संख्या पर समेट देने का दावा कर रहे हैं, बल्कि इस बार लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में भी बहुत सावधानी बरत रहे हैं।
मसलन, बदायूं की सीट से अल्पसंख्यक समेत सभी वर्ग के मतों पर पकड़ रखने वाले चाचा शिवपाल सिंह यादव को उतार दिया है। आजमगढ़ की सीट लोक कलाकार और भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव (निरहुआ) से छीनने के लिए धर्मेंद्र यादव को बदायूं के साथ-साथ आजमगढ़ का भी प्रभारी बना दिया है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
2014, 2017, 2019 और 2022 के लोकसभा, विधानसभा चुनाव के नतीजे के आंकड़े चौकाते हैं। संजय लाठर भी कहते हैं आप कहीं मत जाइए। इसी आंकड़े को आधार बना लीजिए तो भाजपा उ.प्र. में केवल बड़ी बड़ी बातें कर रही हैं। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 42.6 वोट मिले थे। उसके मतों में 2009 की तुलना में 24.80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी।
भाजपा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए लोकसभा चुनाव में 71 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसके सहयोगी दल अपना दल को भी दो सीटें मिली थी और एनडीए 73 सीट जीतने में सफल रहा था। 02 सीट (7.55 प्रतिशत वोट और 2009 की तुलना में 19 सीट का नुसकान)कांग्रेस के पाले में आई थी। बसपा को 20 सीटे के नुकसान के साथ कोई सीट नहीं मिली और सपा को 5 सीटें(22.20 प्रतिशत वोट, 2009 की तुलना में 19 सीट का नुकसान) मिली थी।