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’36 महीने से पहले पहला विमान मिलना मुश्किल’, MQ-9बी ड्रोन खरीदे जाने पर बोले नौसेना प्रमुख

चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर और हिंद महासागर में सतर्कता बढ़ाने के लिए भारत एमक्यू 9बी ड्रोन अमेरिका से खरीदने वाला है। तीन अरब डॉलर से अधिक की लागत से 30 एमक्यू-9बी प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने को लेकर भारत की अमेरिका के साथ डील अंतिम चरण में है। इसी को लेकर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने अनुरोध पत्र को डीएसी द्वारा मंजूरी दे दी गई है और अनुरोध पत्र अमेरिकी सरकार के पास चला गया है।

अंतिम मसौदे के आने का समय
नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘अंतिम मसौदे के आने का समय है। इसे संसदीय समिति के समक्ष रखा जाना है और उसके बाद यह आएगा। हम आशा करते हैं कि इसे आगे ले जाया जाएगा और हम आने वाले कुछ महीनों में संभवत: अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद करते हैं। हालांकि, विमान के बनने और उसे लाने में समय लगेगा, इसलिए पहला विमान 36 महीने से पहले नहीं आ सकता है।’

हम फिलहाल दो अभियान चला रहे
अरब सागर और पाकिस्तान की स्थिति पर ईरानी मछुआरों ने भारतीय नौसेना का शुक्रिया अदा करने पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा, ‘हम फिलहाल दो अभियान चला रहे हैं। एक एंटी-पायरेसी ऑपरेशन और दूसरा एंटी-ड्रोन ऑपरेशन है। इसलिए एंटी-ड्रोन ऑपरेशन में, हम अपने मर्चेंट शिप का समर्थन कर रहे हैं। यानी न केवल भारतीय ध्वज वाले व्यापारी पोत, बल्कि किसी अन्य ध्वज वाले जहाज भी जो संकट में हैं, उनकी मदद करने और बंदरगाह तक सुरक्षित पहुंचने में उनकी सहायता करने की कोशिश कर रहे हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरा ऑपरेशन, जो चल रहा है वो एंटी-पायरेसी ऑपरेशन है। इसलिए हम यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ हैं कि इस पायरेसी को पूरी तरह से कम किया जाएगा। उस दिशा में, हम आक्रामक रूप से अपने मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। हमने वहां करीब चार जहाज तैनात किए हैं। हमने महसूस किया कि विभिन्न देशों वाले मछली पकड़ने वाले कुछ जहाज थे, जिसे बंधक बनाया जा रहा था।

जैसे ईरानी और पाकिस्तानी चालक दल सोमाली समुद्री डाकुओं द्वारा अपहरण किए जा रहे थे और उसके बाद उनका उपयोग अन्य बड़े जहाजों पर समुद्री डकैती के हमले करने के लिए किया जा रहा था। इसलिए हम समुद्री डाकुओं को आत्मसमर्पण करने और इन तीन जहाजों के चालक दल को रिहा करने में सक्षम थे। इसलिए आप उन्हें हमें धन्यवाद देते हुए पाते हैं। जो कोई भी संकट में होगा, हमें उसकी मदद करनी होगी।’

विशाखापत्तनम में हो रहा मिलन 24
विशाखापत्तनम में मिलन 24 (बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास- 2024) होने पर नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘मिलन अभ्यास वास्तव में अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास है। यह अपने कद, विषय-वस्तु और जटिलता आदि में बढ़ रहा है। इस बार हमने 58 देशों को आमंत्रित किया है। हमें 50 से अधिक देशों से प्रतिक्रियाएं मिली हैं और लगभग 18 युद्धपोतों और विमानों के भाग लेने की संभावना है।’