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हल्के लक्षणों वाला भी रहा है संक्रमण तो हो जाइए सावधान, 77% लोगों में देखी गई ये स्वास्थ्य समस्या

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का खतरा पिछले चार साल से अधिक समय से जारी है। अब तक 70.28 करोड़ से अधिक लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, 69.80 लाख लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है। वर्ल्डोमीटर द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 67.37 लोग संक्रमित होने के बाद ठीक भी हो चुके हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में भी कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम देखा जा रहा है, लॉन्ग कोविड की समस्या कई लोगों में एक साल तक भी बनी हुई देखी गई है।

हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया, कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम देखे जा रहे हैं, यहां तक कि जिन लोगों में संक्रमण के दौरान हल्के लक्षण भी थे, उनमें भी कई प्रकार की दिक्कतें बनी हुई हैं। अस्पतालों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग आ रहे हैं जो संक्रमण से तो ठीक हो चुके हैं पर उनमें स्वास्थ्य समस्याएं अब भी बनी हुई हैं।

कोरोना के दीर्घकालिक दुष्प्रभाव

कोरोना के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को जानने के लिए किए गए शोध में विशेषज्ञों ने बताया, कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले लोगों को भी लंबे समय तक सोने में परेशानी बनी हुई देखी जा रही है। संक्रमण के शिकार रहे अधिकतर लोग अनिद्रा या नींद से संबंधित कई अन्य प्रकार की समस्याओं के शिकार पाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पहले के अध्ययनों में भी इस बात को लेकर अलर्ट किया जाता रहा था कि कोविड-19 के कारण नींद विकारों की समस्या हो सकती है, पर ये मामले गंभीर लक्षण वाले उन रोगियों में अधिक थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी। हालांकि इस शोध में कहा गया है कि हल्के स्तर के संक्रमण के शिकार रहे लोगों में भी नींद की समस्याएं हो सकती हैं।

अध्ययन में क्या पता चला?

फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ जर्नल में इससे संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित हई है, जिसमें कोरोना संक्रमण का शिकार रहे लोगों में नींद विकारों के बारे में अलर्ट किया गया है। 1,056 कोविड-19 मरीजों पर ये शोध किया गया, हालांकि ये लोग अस्पताल में भर्ती नहीं थे। इन प्रतिभागियों में अनिद्रा, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं का मूल्यांकन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इनमें से 76.1% को अनिद्रा और 22.8% को गंभीर अनिद्रा की दिक्कत थी।एक तिहाई प्रतिभागियों ने कहा कि उनकी नींद की गुणवत्ता खराब है, नींद की अवधि कम है या फिर उन्हें सोने में दिक्कत होती है। आधे लोगों ने बताया कि संक्रमण के बाद वे रात कम सो पाते हैं।