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राहुल की राह में अधिक चुनौतियां? 1998 में सोनिया के सामने ये थी समस्या

नई दिल्ली। राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी की कमान कब मिलेगी, ये सवाल अब अतीत के गर्भ में चला गया है. क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं.

राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले नेहरू-गांधी परिवार के छठे शख्स हैं. राहुल गांधी से पहले मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के हाथों में पार्टी की कमान रही है. राहुल की ताजपोशी के साथ ही 19 साल से इस पद पर मौजूद सोनिया गांधी जिम्मेदारी से मुक्त हो गई हैं.

19 साल पहले अप्रैल 1998 में जब सोनिया गांधी ने जब कांग्रेस की कमान संभाली, तब भी पार्टी की सियासी हालत कमजोर थी. मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी, परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और कभी भी राजनीति में नहीं आने की कसम खाई थी. सोनिया ने राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना के साथ खुद राजनीति से दूर रखने की कोशिश की.

इसके बाद 1996 में नरिसम्हा राव की सरकार जाने के बाद पार्टी की चिंता और बढ़ गई. इस चुनाव में बीजेपी और जनता दल ने भारी बढ़ी हासिल की और बीजेपी ने गठबंधन सरकार बनाई.

कांग्रेस की हालत दिन-ब-दिन बुरी होती देख सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं के दबाव में 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की. जिसके बाद अप्रैल 1998 में वो कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. इस तरह नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के रूप में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली.

अब जबकि राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई है, तब भी कांग्रेस की हालत खस्ता है. 2004 और 2009 में सरकार बनाने के बावजूद 2014 में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई. इसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, गोवा, असम समेत कई सूबों में पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाई. जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस एक के बाद चुनाव हारती गई. यहां तक कि निकाय चुनावों में भी कांग्रेस अपनी साख नहीं बचा पा रही है.

ऐसे में अब राहुल के सामने सबसे ज्वलंत चुनौती गुजरात चुनाव है और उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव. अब सवाल ये है क्या राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की तरह कांग्रेस को 2004 और 2009 जैसी जीत दिलाने में कामयाब हो पाएंगे?