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जॉर्डन हमले के जवाब में अमेरिका ने सीरिया और इराक में 85 ठिकानों पर की बमबारी, छह आतंकी मारे गए

अमेरिकी सेना जॉर्डन में सैन्य अड्डे पर हुए ड्रोन हमले के जवाब में शुक्रवार को सीरिया और इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया के ठिकानों पर बमबारी की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सीरिया में अमेरिका के हवाई हमलों में छह मिलिशिया लड़ाके मारे गए हैं। इनमें तीन गैर-सीरियाई थे। अमेरिकी सेना ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ने शुक्रवार को इराक और सीरिया में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स और उनके समर्थित मिलिशिया से जुड़े 85 से अधिक ठिकानों पर जवाबी हवाई हमले किए।

बयान में कहा गया है कि अमेरिकी सेना ने हवाई हमलों ने कमांड और नियंत्रण केंद्रों, रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ रसद और गोला-बारूद आपूर्ति श्रृंखला सुविधाओं को निशाना बनाया। अमेरिकी सेना ने 125 से अधिक युद्ध सामग्री के साथ 85 से अधिक ठिकानों पर हमला किया। वहीं, सीरिया की सरकारी मीडिया ने कहा कि सीरिया के रेगिस्तानी इलाकों और इराक से लगती सीमा के पास स्थित ठिकानों पर अमेरिकी हमले में कई लोग हताहत और घायल हुए हैं।

हमले के बाद बाइडन का बयान
ईरान समर्थिक आतंकी समूहों के ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका मध्य-पूर्व में संघर्ष नहीं चाहता है, लेकिन अगर किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचता है, तो हम उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि पिछले रविवार को जॉर्डन में ईरान द्वारा समर्थित आतंकी समूहों के ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। शुक्रवार को मैं डोवर एयरफोर्स बेस पर इन बहादुर सैनिकों के शवों की वापसी पर श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुआ और उनके परिवारों से बात की।

पिछले सप्ताह जॉर्डन में सैन्य अड्डे हुए ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे और लगभग 40 अन्य घायल हुए थे। इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान समर्थित समूहों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की बात कही थी। बीते दिनों ने बाइडन ने जवाबी हमले की मंजूरी दी थी। इसके बाद अमेरिकी ने शुक्रवार को पहला हमला किया।

पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका
हालांकि, अमेरिकी सेना ने ईरान की सीमा के अंदर किसी भी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया है। लेकिन अमरेकिा के जवाबी हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। गाजा में पिछले तीन महीने से चल रहे इस्राइल-हमास युद्ध के कारण क्षेत्र में पहले से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है।