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घरेलू कलह से जूझ रही अखिलेश की सपा आधे से ज्यादा नगर निगमों में जमानत तक नहीं बचा सकी

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के लिए अभी अच्छे दिन की वापसी नहीं हो पा रही है. घरेलू कलह से जूझ रही अखिलेश की पार्टी की साख पर बट्टा लगता जा रहा है. उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में पहली बार सिंबल पर मैदान में उतरी यह प्रमुख विपक्षी पार्टी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल 16 नगर निगमों के चुनाव में खड़े हुए मेयर प्रत्याशियों में से 9 मेयर प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए हैं. इन नौ निगमों में फिरोजाबाद का नगर निगम भी शामिल है जहाँ से अक्षय यादव वर्ष 2014 में हुए संसदीय चुनाव में मोदी लहर के बावजूद युवा सांसद बने थे.

बता दें कि फिरोजाबाद सीट को सपा का गढ़ माना जाता है. इस सीट से सपा के अक्षय यादव 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे युवा सांसद बने थे. इसके विपरीत दूसरी तरफ पहली बार सिंबल पर लड़ रही बसपा ने सभी को चौंकाते हुए भाजपा को दो अहम सीटों पर मात दे दी. दरअसल सबसे ज्यादा खराब स्थिति अखिलेश यादव की है जो पिता की भारी नाराजगी के बीच सपा के मुखिया के पद पर काबिज हैं. पिता मुलायम सिंह अभी विधानसभा चुनाव में हुई हार को ही नहीं पचा पा रहे हैं, ऐसे में पार्टी के अधिकृत सिंबल पर मिली इस हार ने उनके जख्मों को और हरा कर दिया है. सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान अनेक मौकों पर अखिलेश पर नाराजगी दिखाने वाले मुलायम सिंह ने हाल ही में अपने जन्मदिन पर भी इस गम का बयां किया था और सार्वजनिक तौर पर अखिलेश की रणनीति पर सवाल उठाए थे.

हालांकि जब से नगर निकाय के चुनाव की घोषणा हुई थी, उसके बाद से ही यह सवाल उठने लगे थे कि अखिलेश यादव ने प्रत्याशियों के लिए जनसभाएं नहीं कीं. यह तक चर्चा हो रही थी कि लगता है कि अखिलेश को यह अहसास था कि निकाय चुनाव में सपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहने वाला है. जिन नौ नगर निगमों में समाजवादी पार्टी की जमानत जब्त हुई है उनमें फिरोजाबाद में सावित्री गुप्ता, सहारनपुर में साजिद कय्यूम, मुरादाबाद में मोहम्मद यूसुफ, मथुरा में श्याम मुरारी, झांसी में राहुल सक्सेना, अलीगढ़ में मुजाहिद किदवई, कानपुर नगर में माया गुप्ता, गाजियाबाद में राशि गर्ग तथा आगरा में राहुल चतुर्वेदी मेयर पद पर चुनाव हारकर जमानत गँवा बैठे हैं.