सिंगापुर और इंडोनेशिया के 22 विदेशी कलाकारों ने रामलीला और रामायण को नृत्य में पिरोकर जीवंत कर दिया। प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव से लेकर राज्याभिषेक तक के प्रसंगों को संगीत के भावों में बेहतरीन ढंग से प्रदर्शित किया। नमोघाट पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की ओर से दो दिवसीय रामायणोत्सव के पहले दिन सिंगापुर की कलाकार मीरा बालसुब्रमण्यम और उनके साथी कलाकारों ने भरतनाट्यम के जरिये रामायण के हर भाव को प्रकट कर दर्शकों को देव दर्शन का एहसास कराया। 14 कलाकारों ने 50 मिनट की प्रस्तुति में प्रभु श्रीराम के जन्म, वनगमन, सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध और राज्याभिषेक की भावपूर्ण प्रस्तुति की। वहीं, इंडोनेशिया के आठ कलाकारों के समूह ने एक घंटे चार मिनट की प्रस्तुति में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन दर्शन को जीवंत किया। इसका निर्देशन डॉ. आई वायान टिपिया एवं पौम्पी पॉल ने किया।
इसके पूर्व भजन गायक डॉ. विजय कपूर ने भजनों से प्रभु श्रीराम की आराधना की। तबले पर सुमंत कुमार चौधरी, बांसुरी पर सुधीर कुमार गौतम, साइड रिदम पर संजय श्रीवास्तव और सह गायन में काजल तिवारी, अंशिका श्रीवास्तव, धनंजय कुशवाहा, शेर बहादुर सिंह, अविनाश, अजित कुमार रहे। डॉ. राकेश कुमार ने बांसुरी पर रामधुन छेड़कर सभी को मुग्ध कर दिया। तबले पर राजन कुमार एवं बांसुरी पर अभिषेक एवं तुषार ने साथ दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रख्यात सितार वादक शिवनाथ मिश्र और वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम समन्वय अतुल सिंह और संचालन डॉ. ज्योति सिंह ने किया। इस मौके पर कलाकार देवव्रत मिश्र, सुखदेव मिश्रा, डॉ. सुभ्रा वर्मा, श्रीधर मिश्रा आदि रहे।