ज्ञानवापी परिसर की एएसआई रिपोर्ट पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता एखलाक अहमद ने बड़ा बयान दिया है। कहा कि एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में जो फिगर्स हैं उसमें मलबे मिले हैं तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि हमारी एक बिल्डिंग थी जिसको हम लोग नॉर्थ गेट के छत्ता द्वार कहते थे। उसमें हमारे पांच किरायेदार थे, वो सभी मूर्तियां बनाते थे। उसमें जो मलबा था उसे पीछे की तरफ फेक देते थे। मूर्तियां सारी खंडित मिली हैं, कोई ऐसी मूर्ति नहीं मिली जिसे कहा जाए कि ये भगवान शिव की मूर्ति है।
वकील ने कहा कि मूर्तियां मस्जिद के अंदर नहीं मिली हैं। मस्जिद के उत्तर तरफ एक कमरा है अगर उधर पड़े हुए कुछ पाए होंगे तो पाए होंगे। कहा कि बैरिकेडिंग 1993 में लगी है उससे पहले पूरा खुला हुआ था। सारे लोग आते- जाते थे और हमारे किरायेदार मूर्तियों के मलबा फेकते थे। वही टुकड़े मिले होंगे।
रिपोर्ट पढ़ने के बाद दाखिल करेंगे आपत्ति
अधिवक्ता एखलाक अहमद ने कहा कि पश्चिमी दीवार के हिस्से में ऐसा कुछ नहीं मिला है, कोई मूर्तियां नहीं मिलीं जिससे पता चले कि वो मंदिर की दीवार है। मंदिर के स्ट्रक्चर होने और ऊपर से गुंबद बने होने की बात पर वकील ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। सर्वे में भी ऐसा कुछ नहीं लिखा गया है। जितने भी मीनार बड़े होते हैं हमेशा दो पार्ट में होते हैं। ये टेक्निकल है। एक पार्ट में मीनार होगा तो गिर जायेगा। पूरी रिपोर्ट पढ़ेंगे इसमें देखेंगे क्या गलत रिपोर्ट दी गई है उसपर हम आपत्ति दाखिल करेंगे।
अधिवक्ता ने कहा कि मस्जिद में ऐसी कोई चीज नहीं जो भी फोटोग्राफ है, वह पिछली बार जो कमिश्नर की कार्रवाई हुई थी उसमें भी थे। उसमें उन्होंने फोटो खींच करके अपनी रिपोर्ट दिखाया था, इन्होंने उसका नाम दे दिया। कितना लंबा, कितना चौड़ा है, कितना गहरा, कितना पतला है। खुदाई के लिए एएसआई को मना किया गया था। एएसआई के डायरेक्टर ने कहा भी था की खुदाई नहीं करेंगे, लेकिन मंदिर के पीछे कुछ मलबे पड़े थे उसकी उन्होंने साफ सफाई कराई। सफाई से फायदा हुआ कि जो हमारी पश्चिम तरफ मजार थी ओपन हो गई। उन्होंने दक्षिणी तहखाने से कुछ मिट्टी निकालकर कुछ पता करने के लिए खुदाई किया होगा तो वहां कुछ नहीं मिला तो बाकी उन्होंने मिट्टी छोड़ दिया।