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बड़ी कामयाबी- 70 तरह के कैंसर में कारगर हो सकती है ये एक दवा, इलाज होगा सस्ता और आसान

कैंसर, दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। साल 2019 की रिपोर्ट के अनुसार अकेले भारत में 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई। साल-दर साल इस रोग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। पुरुषों में फेफड़े-प्रोस्टेट कैंसर तो महिलाओं में स्तन और सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। मेडिकल साइंस की प्रगति ने कैंसर के उपचार को कुछ हद तक आसान तो किया है पर अब भी ये आम लोगों के लिए कठिन है। कीमोथेरेपी जैसे उपचार प्रक्रिया न सिर्फ कष्टकारक हैं साथ ही इसमें मोटा पैसा भी खर्च होता है।

मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एक दवा ओरल कोमोथेरेपी के रूप में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मददगार साबित हो सकती है, खास बात ये है कि इससे शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। सेल केमिकल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों का कहना है कि इस एक गोली से घंटों की कोमीथेरेपी और उसके दर्द को कम किया जा सकता है। ये लक्षित रूप से सिर्फ उन्ही कोशिकाओं को नष्ट करती है जिनमें कैंसर विकसित हो रहा है। फिलहाल दवा का अध्ययन केवल जानवरों और प्रयोगशाला प्रयोगों में किया गया है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है ये दवा कैंसर कोशिकाओं के शरीर में चक्र को बाधित करने का काम करती है। कैंसर कोशिकाओं पर नष्ट करने के अलावा, इस प्रयोगात्मक दवा से अन्य कैंसर उपचारों की प्रभावशीलता को बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक इसका अब तक सिर्फ चूहों और कुत्तों पर अध्ययन किया गया है, जिसमें अच्छे परिणाम देखे गए हैं।

कैलिफोर्निया कैंसर सेंटर सिटी ऑफ होप द्वारा किए गए इस अध्ययन के बारे में प्रमुख शोधकर्ता बताते हैं, ये दवा कैंसर के उपचार में संभावित रूप से काफी मददगार हो सकती है। हम ये भी मानते हैं कि पशुओं पर किए गए अध्ययन के परिणाम हमेशा कैंसर रोगियों के इलाज में सफल साबित हों ये जरूरी नहीं है, लेकिन अब तक के परिणाम काफी आशावादी हैं।

शोधकर्ता बताते हैं, अब तक के अध्ययन में, स्तन कैंसर, स्मॉल सेल्स वाले फेफड़ों के कैंसर और न्यूरोब्लास्टोमा नामक तंत्रिका कोशिकाओं में शुरू होने वाले कैंसर में इसे काफी असरदार पाया गया है। कुल मिलाकर, शोधकर्ताओं ने 70 प्रकार के कैंसर पर इस दवा के प्रभावों की जांच की, जिसमें से अधिकतर में इसके असरदार परिणाम देखे गए हैं। कैंसर के कारण उत्पन्न ट्यूमर वाले चूहों में इस दवा ने कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से कम किया है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया, मनुष्यों में प्रथम चरण का नैदानिक परीक्षण चल रहा है। पहले चरण के परीक्षणों में दवा की खुराक और दुष्प्रभावों की जांच की जाती है। इस चरण पर दो साल तक शोध की जाएगी। दवा की पहली गोली (AOH1996) अक्टूबर 2022 में परीक्षण के दौरान एक मरीज को दी गई थी। इसके परिणाम को लेकर अध्ययन किया जा रहा है। लेखकों का कहना है- हमें उम्मीद है कि मनुष्यों में भी इसके बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। फिर भी कैंसर के इलाज के लिए इसकी प्रभावकारिता निर्धारित करने के लिए भविष्य के और अधिक नैदानिक अध्ययन आवश्यक हैं। अगर परिणाम बेहतर रहे तो ये दवा क्रांतिकारी प्रभावों वाली साबित हो सकती है।

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