अयोध्या में बने भव्य श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में रामलला अपने आसन पर विराजमान हो गए हैं। उनकी अचल मूर्ति को बुधवार देर रात गर्भगृह में पहुंचा दिया गया था। इसके लिए जरूरी कर्मकांड गुरुवार दोपहर से ही शुरू कर दिए गए थे। कर्मकांड की शुरुआत गणेश पूजन के साथ हुई। किसी भी अनुष्ठान के शुभारंभ से पहले भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है। इसी मान्यता के चलते गणेश पूजन व अंबिका पूजन के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ। पूजन के क्रम में ही भगवान रामलला के अचल विग्रह को पवित्र नदियों के जल से स्नान कराया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न औषधियों से भी स्नान कराया जाएगा।
रामलला ने किया मंदिर परिसर का भ्रमण
इसके पहले बुधवार को रामलला की चांदी की प्रतिमा को राममंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया। पहले रामलला की अचल मूर्ति को जन्मभूमि परिसर में भ्रमण कराने की योजना थी, लेकिन सुरक्षा कारणों और मूर्ति का वजन अधिक होने के कारण परिसर भ्रमण की रस्म रामलला की छोटी रजत प्रतिमा से पूरी कराई गई।
इंजीनियरों व सुरक्षाकर्मियों ने प्रतिमा पर पुष्पवर्षा की
10 किलो वजनी चांदी की प्रतिमा को मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा ने पालकी पर विराजमान कर नगर का भ्रमण कराया। इस बीच मंदिर परिसर वैदिक मंत्रोच्चार से गूंजता रहा। आचार्यों, मंदिर निर्माण में लगे इंजीनियरों व सुरक्षाकर्मियों ने प्रतिमा पर पुष्पवर्षा की। विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक मंडल के सदस्य दिनेश चंद्र व डॉ. अनिल ने रामलला की रजत प्रतिमा का पूजन किया। इसके बाद निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास और पुजारी सुनील दास ने गर्भगृह में सिंहासन की पूजा की।