पश्चिम बंगाल में वर्ष 2019 में संदेशखाली में दो व्यक्तियों की हत्या और अन्य के अपहरण मामले में एक निचली अदालत की कार्यवाही पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने टीएमसी नेता शेख शाहजहां को मुख्य आरोपी के तौर पर नामित किया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि अपहरण किए गए व्यक्ति का कंकाल घटना के दो साल बाद एक नदी के किनारे मिला।
याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवाने का मांग की है, उनका दावा है कि पुलिस इस मामले में जांच ठीक से नहीं कर रही है। न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले आदेश तक ट्रायल कोर्ट में मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को तय की गई है।
पश्चिम बंगाल सरकार के तरफ से पेश हुए माधिवक्ता किशोर दत्ता के आग्रह पर राज्य को तीन सप्ताह में हलफनामा दायर करने की अनुमति दी है। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने की अनुमति दी गई। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने वर्ष 2019 में उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में उनके घरों पर हमला किया। इस दौरान आरोपियों ने प्रदीप मंडल और सुकांत मंडल की हत्या कर दी थी। वहीं देवदास मंडल का अपहरण कर लिया गया था, जिनका कंकाल घटना के दो साल बाद एक नदी के पास मिला।याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था, जिनका नाम एफआईआर में ही नहीं था। शिकायतकर्ता ने शेख शाहजहां को मामले में मुख्य आरोपी बताया था।