सरकार देश में इथेनॉल बनाने के लिए मोलासिस (शीरा) की उपलब्धता बढ़ाएगी। इसके लिए सरकार ने मोलासिस के निर्यात पर 50 फीसदी का शुल्क लगा दिया है। इसे 18 जनवरी से लागू किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इतने बड़े निर्यात शुल्क से मोलासिस की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। इससे इथेनॉल का उत्पादन बढ़ेगा। इससे ईंधन में इथेनॉल मिलावट का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। चालू वर्ष में पेट्रोल में 15 फीसदी इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य है। इसके लिए 690 लीटर इथेनॉल की जरूरत होगी।
अक्तूबर से सितंबर तक के गन्ने के उत्पादन में कमी आने की भी आशंका है। दुनिया में मोलासिस का 25 प्रतिशत हिस्सा भारत से ही पूरा होता है। मोलासिस निर्यात करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात व कर्नाटक हैं, जो थाईलैंड, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और फिलीपीन जैसे देशों को निर्यात करते हैं।
सालाना 16 लाख टन तक निर्यात
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने शीरा निर्यात पर 50 फीसदी शुल्क लगाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है। संगठन ने कहा, हर साल करीब 15-16 लाख टन शीरे का निर्यात किया जाता है, जो उत्पादित मोलासिस की कुल मात्रा का लगभग 10 फीसदी है। इस मोलासिस से लगभग 38 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो सकता है।