मालदीव में दो महीने पहले नई सरकार बनने के बाद चीन के साथ इसकी करीबी बढ़ रही है। चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक कर लौटे राष्ट्रपति मुइज्जू ने भरोसा जताया है कि आने वाले समय में दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि चीन मालदीव की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। दोनों देश एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। मुइज्जू का बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि राजनयिक विवाद के कारण मालदीव और भारत के रिश्ते कड़वे हो चुके हैं।
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली राजकीय यात्रा पर चीन पहुंचे मुइज्जू ने चीनी समकक्ष जिनपिंग के अलावा वहां के प्रधानमंत्री समेत कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी। यात्रा के दौरान डेढ़ दर्जन से अधिक समझौतों पर साइन करने के बाद बाद शनिवार को मालदीव लौटे मुइज्जू ने कहा, चीन ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद से मालदीव के विकास में निरंतर सहायता की है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर ले गई है।
उन्होंने कहा कि चीन ऐसा देश नहीं है जो मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा, यही कारण है कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हैं। चीन के सरकारी चैनल- सीजीटीएन के साथ एक साक्षात्कार में मुइज्जू ने कहा, मालदीव और चीन एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। चीन मालदीव की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि चीन-मालदीव संबंध भविष्य में भी मजबूत होते रहेंगे। राष्ट्रपति शी जिनपिंग नागरिकों के हित को पहले रखते हैं और उनके नेतृत्व में चीन की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों पर पहुंची है।
राष्ट्रपति मुइज्जू के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि चीनी सरकार मालदीव को उसके लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि जिनपिंग के साथ-साथ खुद उनके दृष्टिकोण में मालदीव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप प्रगति लाना शामिल है। बकौल मुइज्जू, वह मालदीव को एक ऐसे देश में बदलना चाहते हैं जो उनके दृष्टिकोण के ढांचे के भीतर अन्य विकसित देशों के साथ सद्भाव बरकरार रखते हुए रिश्ते कायम करे।
गौरतलब है कि मुइज्जू ने चीन दौरे से लौटने के बाद भी भारत का नाम लिए बिना तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भले ही मालदीव काफी छोटा देश है, लेकिन केवल इस आधार पर किसी देश को उसे धमकाने या उस पर धौंस दिखाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। इस बयान को चीन से उनकी करीबी और भारत के खिलाफ उग्र तेवरों के तौर पर देखा गया।