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जैन धर्मगुरु नम्रमुनि पर शोषण का सनसनीखेज आरोप, नम्रमुनि का आरोपों से इनकार

नई दिल्ली। मुंबई की एक लड़की ने जैन धर्मगुरु नम्रमुनि पर शोषण का सनसनीखेज आरोप लगाया है. पीड़िता ने प्रधानमंत्री और महिला आयोग को शिकायत भेजी है. पीड़िता की शिकायत पर महाराष्ट्र महिला आयोग ने कहा कि जरूरी कार्रवाई करेंगे.

पीड़िता ने आरोप लगाया, “नम्रमुनि महाराज साहेब हमेशा कहते थे कि गुरु को तन मन धन सब सौंप देना चाहिए, मुझे ऐसे ऐसे वाक्य से भ्रमित करते थे कि गुरु को सब सौंप देना चाहिए, आत्मा तो पहले से गुरु के पास होता है लेकिन तन भी देना पड़ता है, तन का भी भोग देना पड़ता है.”

उन्होंने आगे कहा, ”जो गुरु मांगे, गुरु रात मांगे या दिन मांगे, आपका पूरा समय मांगे तो भी पहले आपके गुरु को सौंप देना चाहिए, गुरु रात को बुलाए तो रात को भी आना चाहिए, गुरु शाम को बुलाए शाम को भी आना चाहिए.

पीड़िता ने आगे बताया, ”भगवान का नहीं सुनना चाहिए कि भगवान ने शास्त्र में लिखा है कि सूर्यास्त के बाद साधु के पास नहीं जाना चाहिए, गुरु की मांग पहले होनी चाहिए, ऐसे कर कर के बहुत से तरीके से उन्होंने मेरे को विवश करते थे सेक्स के लिए या दूसरी तरीके से भी करते थे लेकिन मुझे अनुचित लगा.”

पीड़िता ने आरोप लगाया है कि नम्रमुनि दुनिया के सामने अहिंसा और नम्रता का संदेश देते हैं. लेकिन पीठ पीछे दीक्षा के लिए लोगों को मजबूर करते हैं. नम्रमुनि पर आरोप लगा है कि उन्होंने लड़की के मां-बाप को दीक्षा के लिए अनुमति देने के लिए मजबूर किया बल्कि लड़की को भी मां-बाप के खिलाफ भड़काया.

आरोपों पर क्या बोले नम्रमुनि?
नम्रमुनि लड़की के आरोपों से इनकार कर रहे हैं. इस आरोप पर नम्रमुनि ने कहा, ”आज तक हमने सिर्फ 18-20 दीक्षा दी है, आप उन लोगों से पूछ लो. किसी को जबरन दीक्षा नहीं दिलायी जा सकती. किसी के माता पिता पर दबाव नहीं डाला जाता है. जब कोई दीक्षा लेता है तो उसके माता पिता 5000 लोगों के सामने आज्ञापत्र पढ़ते हैं.”

उन्होंने कहा, ”कोई भी व्यक्ति जब अपनी भावनाओं को नहीं समझ पाता है. आरोप लगाने वाले की मनोस्थिति कैसी है ये नहीं समझा जा सकता है. हमारे यहां कई ऐसे लोग आते हैं.”

कौन हैं नम्रमुनि ?
नम्रमुनि महाराज का बचपन में नाम महावीर कन्हैया लाल भायाणी था. 26 सितंबर 1970 को महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मे नम्रमुनि 4 भाई बहनों में सबसे छोटे हैं. परिवार की आर्थिक तंगी के कारण 10 साल की उम्र में ही पार्ट टाइम काम शुरू कर दिया था. नम्रमुनि ने साल 1991 में सिर्फ 21 साल की उम्र में पंच महाव्रत की दीक्षा ली और नाम महावीर से बदलकर नम्रमुनि महाराज हो गया.

नम्रमुनि ने 2005 में आश्रम युवा सेवा ग्रुप की स्थापना की. इस समय देश-विदेश में ग्रुप के 65 सेन्टर हैं. नम्रमुनि ने 2006 में Look N Learn Jain Gyan Dham की स्थापना की. इसके विश्व भर में 87 केंद्र हैं.

नम्रमुनि ने मुम्बई में पावनधाम, कोलकाता में पारसधाम, बड़ौदा में पावनधाम और अहमदाबाद में पवित्रधाम की स्थापना की. नम्रमुनि बिजनेसमैन, सीएम और वकील समेत 108 लोगों को दीक्षा दे चुके हैं. दावा है कि देश-विदेश में उनके लाखों भक्त हैं.