भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने इस साल जून से दिसंबर के बीच पश्चिम बंगाल में 25 खुले बाजार ई-नीलामी के जरिए 4.29 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 14,760 मीट्रिक टन गैर-फोर्टिफाइड चावल की बिक्री की है। एफसीआई के उप महाप्रबंधक (पश्चिम बंगाल क्षेत्र) प्रदीप सिंह ने कहा कि खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलू) का संचालन एम-जंक्शन के ई-नीलामी पोर्टल के माध्यम से की गई थी।
सिंह ने कहा, ”अनाज की कीमतों को स्थिर करने और आम जनता का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए, एफसीआई ने इस साल जून से दिसंबर तक 25 खुले बाजार ई-नीलामी के माध्यम से पश्चिम बंगाल में 4.29 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 14,760 मीट्रिक टन गैर-फोर्टिफाइड चावल बेचा है।”
उन्होंने कहा कि एफसीआई सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से मुफ्त में स्टेपल की आपूर्ति करना जारी रखेगा। ई-नीलामी बिक्री के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,150 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि गैर-फोर्टिफाइड चावल के लिए यह 2,900 रुपए प्रति क्विंटल है। सिंह ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति केवल पीडीएस के माध्यम से की जाती है, न कि ई-नीलामी के माध्यम से।
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल गेहूं की कमी वाला राज्य है लेकिन चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर है। राज्य के लिए, विपणन सत्र 2024-25 के लिए हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश से 2,275 रुपए प्रति क्विंटल के मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदा जा रहा है। उन्होंने कहा कि रबी सीजन के दौरान किसानों से गेहूं खरीदा जाता है, जबकि खरीफ सीजन के दौरान चावल खरीदा जाता है। अधिकारी के अनुसार, ई-नीलामी के माध्यम से गेहूं और चावल की खरीद की मात्रा में अंतर बड़ी और छोटी प्रसंस्करण इकाइयों के लिए भी किया गया है।
सिंह ने कहा कि एफसीआई ने प्रसंस्करणकर्ताओं से यह भी कहा है कि वे निविदाओं के लिए बोली लगाते समय मासिक प्रसंस्करण क्षमता से अधिक स्टॉक न रखें। उन्होंने कहा कि अगली निर्धारित ई-नीलामी 20 दिसंबर को होगी, जब पश्चिम बंगाल में खुले बाजार के माध्यम से बिक्री के लिए 30,000 मीट्रिक टन गेहूं और 9,000 मीट्रिक टन गैर-फोर्टिफाइड चावल की पेशकश की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर हफ्ते इतनी ही मात्रा में गेहूं खुले बाजार में बिक्री के लिए पेश की जाती है।