भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। दिवाली का पंचदिवसीय पर्व धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज के दिन समाप्त होता है। लेकिन इस साल दो दिन अमावस्या तिथि होने के कारण दिवाली का पर्व छह दिन का पड़ा है। क्योंकि दिवाली व गोवर्धन पूजा के बीच में एक दिन का अंतर पड़ा था। आमतौर पर गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन ही की जाती है। जानें भाई दूज के दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त, डेट, इतिहास व महत्व-
भाई दूज कब है: द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होगी और 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल भाई दूज 15 नवंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज 2023 पर तिलक करने के शुभ मुहूर्त:
लाभ – उन्नति: 10:44 ए एम से 12:04 पी एम
अमृत – सर्वोत्तम: 12:04 पी एम से 01:25 पी एम
शुभ – उत्तम: 02:46 पी एम से 04:07 पी एम
लाभ – उन्नति: 07:07 पी एम से 08:46 पी एम
शुभ – उत्तम: 10:25 पी एम से 12:05 ए एम, नवम्बर 15
अमृत – सर्वोत्तम: 12:05 ए एम से 01:44 ए एम, नवम्बर 15
भाई दूज का इतिहास: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने मिठाइयों और फूलों से उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया। तभी से इस दिन भाई दूज मनाया जाने लगा। एक अन्य कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए, जिन्होंने तिलक समारोह के साथ उनका स्वागत किया। तब यम ने निर्णय लिया कि इस दिन जो कोई भी अपनी बहन से तिलक और मिठाई ग्रहण करेगा उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया जाएगा।
भाई दूज का महत्व: भाई का अर्थ है भाई और दूज का अर्थ है अमावस्या के बाद का दूसरा दिन। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को टीका करके उनके लंबे और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार प्रदान करते हैं। भाई दूज को भाऊ बीज, भाई दूज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में, यम द्वितीया मनाई जाती है, जबकि महाराष्ट्र में उसी दिन भाऊ बीज मनाया जाता है।