अगर डेबिट या क्रेडिट कार्ड (Debit card & Credit card) के जरिए किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट, पेमेंट गेटवे या किसी दुकान पर ट्रांजैक्शन करते हैं तो ये खबर आपके लिए है।
जल्द ही आप टोकनाइजेशन प्रक्रिया के तहत अपने बैंक के जरिए भी कोड जनरेट कर सकेंगे। अब तक यह सुविधा सिर्फ मर्चेंट्स के साथ दी गई थी। आसान भाषा में समझें तो आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड का टोकनाइजेशन किसी ई-कॉमर्स, दुकान या पेमेंट गेटवे पर न होकर सीधे कार्ड जारी करने वाले बैंक के स्तर पर होगा।
आरबीआई गवर्नर ने दिए संकेत
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि कार्ड डेटा के टोकनाइजेशन की बढ़ती स्वीकार्यता, लाभों को देखते हुए आरबीआई अब बैंक स्तर पर कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन (CoFT) निर्माण सुविधाएं शुरू करने पर भी विचार कर रहा है। इस संबंध में निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
क्या है टोकनाइजेशन
टोकनाइजेशन प्रक्रिया के तहत कार्ड के माध्यम से ट्रांजैक्शन की सुविधा के लिए एक यूनिक कोड जनरेट होता है। यह कोड 16 अंकों का होता है और इसके जनरेट होने के बाद आपको कार्ड की अन्य जानकारियां शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मान लीजिए कि आपने किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर शॉपिंग की है और कार्ड से पेमेंट करना चाहते हैं। आमतौर पर पेमेंट के लिए आपको कार्ड की एक्सपायरी डेट, सीवीसी जैसी डिटेल एंटर करने की जरूरत होती है। हालांकि, टोकनाइजेशन प्रक्रिया में इन सब डिटेल की जरूरत नहीं है। पेमेंट के लिए सिर्फ 16 अंकों का कोड ही पर्याप्त है। इसका मतलब है कि ग्राहक के कार्ड की जानकारी अब किसी भी व्यापारी, पेमेंट गेटवे या थर्ड पार्टी पर उपलब्ध नहीं होगी, जहां से आप ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। इससे आपका डेटा सुरक्षित होगा और साइबर फ्रॉड से बच सकेंगे। बता दें कि हर बार ट्रांजैक्शन पर इस कोड को जनरेट करना पड़ता है।
बढ़ रही है डिमांड
केंद्रीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2021 में कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन (CoFT) की शुरुआत की थी और इसे 1 अक्टूबर, 2022 को लागू किया गया था। अब तक 56 करोड़ से अधिक टोकन बनाए गए हैं, जिन पर ₹5 लाख करोड़ से अधिक मूल्य के ट्रांजैक्शन किए जा चुके हैं।