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पनामा पेपर्स मामला – जेल जायेंगे शरीफ, अब वित्त मंत्री की बारी 

लाहौर/नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है। इसका मतलब यह है कि अब वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। नवाज शरीफ पहली बार 1990 से 1993, दूसरी बार 1997 से 1999 के बीच प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

पाक मीडिया के अनुसार नवाज शरीफ को इस मामले में जेल की हवा खानी पड़ेगी। वह रावलपिंडी की सेंट्रल जेल में रहेंगे। हालाँकि पाकिस्तान में एक ताकतवर हिस्सा नहीं चाहता था कि पनामा लीक मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जेल जाना पड़े। सेना, आइएसआइ, और अदालत तक में दो फाड़-सा दिख रहा था।

   इन जजों ने सुनाया फैसला 

प्रधानमंत्री रहते अपनी ही कंपनी से सैलरी ली

इससे पहले जस्टिस एजाज फैजल के नेतृत्ववाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस मामले की जाँच कर रही ‘जेआइटी’ ने 256 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी गई थी। इसमें बताया गया था कि 1992-93 में प्रधानमंत्री रहते नवाज शरीफ ने अपनी बेटी मरियम और परिवार के अन्य सदस्यों की संपत्ति चार गुना बनाने में उनकी मदद की और खुद की आॅफ शोर कंपनी ‘एफजेडइ’ से सैलरी उठाते रहे। ‘एफजेडइ’ से 2013 के जून और अगस्त  में जो वेतन नवाज को दिये गये थे, उसे बतौर सुबूत पेश किया गया था।

6 मई, 2017 को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छह सदस्यीय ‘जेआइटी’ का गठन किया गया था। ‘जेआइटी’ ने 10 जुलाई, 2017 को यह रिपोर्ट अदालत को सौंपी। इस पूरे मामले में पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार की भी अहम भूमिका रही। इशाक डार किसी जमाने में शरीफ परिवार की कंपनी ‘इत्तेफाक ग्रुप’ में क्लर्क हुआ करते थे।

वर्ष 2004 में डार के सबसे बड़े बेटे से नवाज शरीफ की बेटी आस्मां से, जेद्दा में शादी हुई। इशाक डार जब पाकिस्तान के वित्त मंत्री बनाये गये, तभी लग गया था कि जितने वित्तीय घपले शरीफ परिवार ने किये हैं, उसकी लीपा-पोती और जांच एजेंसियों को गुमराह करने में डार की भूमिका सबसे अहम रहेगी।

वित्त मंत्री इशाक डार खुद भी जांच के घेरे में हैं। जेआइटी ने वित्त मंत्री डार से पूछा था कि 2008-2009 में उनकी संपत्ति 9.11 मिलियन से बढ़ कर 831.70 मिलियन कैसे हो गयी? ‘जेआइटी’ 18 साल पुराने उन मामलों को भी खोद-खोद के बाहर निकाल रही है, जिसमें नवाज शरीफ के खिलाफ एफआइआर हुआ था।