इस वक़्त पितृ पक्ष चल रहे हैं जो कि 14 अक्टूबर को ख़त्म होंगे। 3 अक्टूबर 2023, मंगलवार को पंचमी श्राद्ध है। पंचमी श्राद्ध परिवार के मृतक लोगों का किया जाता है जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई हो।
इस दिन कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष दोनों ही पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पंचमी श्राद्ध को कुंवारा पंचमी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन उन मृतकों का श्राद्ध करना चाहिए जिनकी मृत्यु उनकी शादी के पहले हो गई हो।
श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त:
श्राद्ध कर्म करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि शुभ मुहूर्त उत्तम माने गए हैं। दोपहर समाप्त होने तक श्राद्ध संबंधी सभी कर्म या अनुष्ठान कर लेने चाहिए। श्राद्ध के आखिर में तर्पण किया जाता है।
पंचमी तिथि कब से कब तक: पंचमी तिथि 03 अक्टूबर को प्रातः 06 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी तथा 04 अक्टूबर को प्रातः 05 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगी। पंचमी तिथि 3 अक्टूबर को मान्य होगी।
पंचमी तिथि श्राद्ध शुभ मुहूर्त:
कुतुप मूहूर्त – 11:46 ए एम से 12:34 पी एम
अवधि – 00 घंटे 47 मिनट
रौहिण मूहूर्त – 12:34 पी एम से 01:21 पी एम
अवधि – 00 घंटे 47 मिनट
अपराह्न काल – 01:21 पी एम से 03:43 पी एम
अवधि – 02 घंटे 22 मिनट
श्राद्ध विधि:-
यदि संभव हो तो किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। वरना घर पर भी श्राद्ध तर्पण किया जा सकता है। ब्राह्मणों को अपनी क्षमता मुताबिक, अच्छा भोजन करवाकर दान-दक्षिणा आदि करना चाहिए। पितृ पक्ष में किसी निर्धन, जरूरतमंद की सहायता करने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। तर्पण के पश्चात् जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते वक़्त अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए तथा मन में स्मरण करते हुए उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।