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नोटबंदी पर केंद्र का नजरिया: पुराने नोटों को बदलने के एक और मौके से खत्म हो सकता है मकसद

नई दिल्ली। नोटबंदी में रद्द घोषित 500 और 1000 रुपये के करन्सी नोटों को एक्सचेंज करने के लिए एक और मौका देने पर विचार करने की जो बात सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कही है, उस राय पर सरकार ‘सम्मानजनक तरीके से विचार करेगी’। हालांकि वह कोर्ट से यह भी कहेगी कि ऐसा मौका दिए जाने से डीमॉनिटाइजेशन जैसे एक बड़े रिफॉर्म के ‘मकसद को झटका लग सकता है।’ इस मामले में सरकार की सोच की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि रद्द घोषित नोटों को बदलने की एक और विंडो खोलने से इस सुविधा के ‘कई दुरुपयोग’ हो सकते हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर पुरानी करन्सी को एक्सचेंज करने की सुविधा दी गई तो देश से बाहर मौजूद बड़े डीनॉमिनेशन वाले नोटों को वापस लाया जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ हमारी सीमा खुली है। इस बात की काफी आशंका है कि एक और विंडो दिए जाने पर काफी ऐसी करेंसी फिर से सिस्टम में आ जाएगी और डीमॉनिटाइजेशन का मकसद पूरा नहीं होगा। हम सुप्रीम कोर्ट को यह बात बताएंगे और सलाह मांगेंगे।’ अधिकारियों ने यह भी कहा कि नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सलियों की हरकतों पर काबू पाने में ‘बड़ी मदद’ मिली है और एक और मौका दिए जाने से ‘ऐसे तत्व’ इस सुविधा का दुरुपयोग कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और आरबीआई से मंगलवार को कहा था कि वे नोट एक्सचेंज का एक और मौका देने पर विचार करें। सरकार अपना जवाब मामले की सुनवाई की अगली तारीख (18 जुलाई) को दे सकती है। कोर्ट ने कहा था कि जो लोग ‘वाजिब वजहों’ से रद्द किए गए नोट नहीं बदल सके, उन्हें ‘परेशानी में नहीं डाला जाना चाहिए।’ इससे पहले नोट एक्सचेंज की डेडलाइन 30 दिसंबर 2016 और फिर 31 मार्च 2017 की गई थी। 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया गया था और उसके बाद नोट एक्सचेंज की शर्तों में कई बदलाव किए गए थे।

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए हम यह कहना चाहेंगे कि हमने यथासंभव हर कोशिश की थी कि लोग रद्द नोटों को एक्सचेंज कर लें। हम उस प्रोसेस को आसान बनाने और लोगों की मुश्किलें दूर करने के लिए उठाए गए हर कदम की जानकारी देंगे। कोई भी रियायत दिए जाने से यह सिस्टम गंदा हो जाएगा, जो बड़ी कोशिश से साफ हुआ है।’