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राष्ट्रपति चुनाव में आम आदमी पार्टी अलग-थलग, कांग्रेस ने बंद किए विपक्ष के दरवाजे

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। मुख्यत: दो धड़े सक्रिय हैं, जिनमें एक तरफ सत्ताधारी एनडीए खेमा है तो दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में अधिकतर विपक्षी पार्टियां। हालांकि, दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी इन दोनों ही खेमों में नहीं है। कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया है कि बीजेपी के खिलाफ एकजुट हुए ‘संयुक्त विपक्ष’ में आम आदमी पार्टी की एंट्री न हो।

विपक्षी खेमे में आना चाहते थे AK
यह अलग बात है कि आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने तृणमूल चीफ ममता बनर्जी, सीपीएम प्रमुख सीताराम येचुरी और जेडीयू लीडर शरद यादव से हाल ही में मिलकर इस खेमे में आने की इच्छा जताई थी। विपक्ष के नेताओं से मुलाकात के दौरान केजरीवाल और अन्य आप लीडर्स ने बताया था कि वे विपक्षी राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने और किसानों के मुद्दे पर एकजुट विपक्ष का साथ देने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस, एनसीपी और कुछ दूसरी पार्टियों ने इसका कड़ा विरोध किया। कांग्रेस इस बात पर कायम है कि आम आदमी पार्टी ने अपने संघर्ष के दिनों में अधिकतर पार्टियों और नेताओं को ‘चुन-चुनकर खरी-खोटी’ सुनाई है। कांग्रेस का मानना है कि आप अब खुद को बीजेपी से बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

क्यों आप के खिलाफ कांग्रेस?
आप की दलील थी कि अगर तृणमूल-सीपीएम, कांग्रेस-लेफ्ट और एसपी-बीएसपी जैसी राजनीतिक तौर पर विरोधी पार्टियां साथ आ सकती हैं तो वह क्यों नहीं? माना जा रहा है कि कांग्रेस ने इस दलील को आम आदमी पार्टी के अंदर मची कलह के आधार पर खारिज कर दिया। कांग्रेस का मानना है कि आप के चार में से तीन सांसदों ने पहले ही केजरीवाल के नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वहीं, आप नेतृत्व को अंदरूनी फूट की वजह से दिल्ली और पंजाब में अपने बागी विधायकों की संख्या का सही-सही पता नहीं है। ऐसे में आम आदमी पार्टी अगर संयुक्त विपक्ष के साथ खड़ी भी हो जाती है तो वोटों में कुछ खास फर्क नहीं आएगा।

क्या करेगी आम आदमी पार्टी?
कांग्रेस आम आदमी पार्टी को बीजेपी की ‘बी टीम’ करार देती रही है। यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी अभियान छेड़ने वाले आप नेताओं के मद्देनजर वह इस पार्टी को इस बार लाइफलाइन देने के मूड में नही है। कुछ विपक्षी नेताओं का मानना है कि आम आदमी पार्टी बिना शर्त विपक्षी राष्ट्रपति कैंडिडेट को समर्थन दे सकती है। इसके अलावा, वह किसानों के मुद्दों पर प्रदर्शन करके बीजेपी के खिलाफ अपने रुख को साफ कर सकती है।

बैठक आज
राष्ट्रपति उम्मीदवार के ऐलान के मुद्दे पर विपक्षी नेताओं की राय बंटी हुई है। कुछ का मानना है कि बीजेपी के कदम का इंतजार करना चाहिए। वहीं, कुछ नेताओं का कहना है कि विपक्ष को उम्मीदवार को ऐलान पहले कर देना चाहिए क्योंकि चुनाव होना निश्चित है। बुधवार को राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के ऑफिस में विपक्षी नेताओं की बैठक होने वाली है। हालांकि, माना जा रहा है कि इस मीटिंग में किसानों और युवाओं के मुद्दे पर फोकस किया जाएगा। विपक्षी राष्ट्रपति उम्मीदवार के ऐलान की उम्मीद बेहद कम है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव का नोटिफिकेशन बुधवार को जारी होगा, जबकि नामांकन की आखिरी तारीख 28 जून है।

बीजेपी की रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और आरएसएस किसी ऐसे शख्स को राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा में विश्वास करता हो। माना जा रहा है कि अमित शाह की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय कमिटी इस पहलू को ध्यान में रखते हुए ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से एकराय बनाने की कोशिश करेगी। मुमकिन है कि पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर रवाना होने से पहले 23 जून को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति कैंडिडेट का ऐलान कर दिया जाए।