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कोयला घोटाले में पूर्व कोल सेक्रेटरी को हो सकती है 7 साल जेल, CBI ने की अपील

नई दिल्ली। सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट से कोयला घोटाले के दोषी को अधिकतम सजा देने की अपील की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को 7 साल जेल की सजा सुनाए जाने की मांग की है। बता दें कि कोर्ट ने 19 मई को गुप्ता समेत 3 अफसरों को इस मामले में दोषी करार दिया था। इनकी सजा पर फैसला सोमवार को होना है। गुप्ता पर कोल ब्लॉक के आवंटन (allocation ) में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक एचसी गुप्ता 31 दिसंबर 2005 से नवंबर 2008 तक कोयला सचिव थे। इनके अलावा जिन 2 अफसरों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है, उनमें कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा और कोल ब्लॉक आवंटन के पूर्व डायरेक्टर केसी सामरिया शामिल हैं। स्पेशल सीबीआई जज भरत पाराशर 22 मई को इनकी सजा अपना फैसला सुनाएंगे।
बता दें कि यह मामला मध्य प्रदेश के थेसगोरा-बी रुद्रपुरी कोल ब्लॉक को KSSPL (कमल स्पंज स्टील एंड पावर लिमिटेड) प्राइवेट कंपनी को आवंटित किए जाने में कथित तौर पर की गई अनियमितताओं (irregularities) से जुड़ा है।
सीनियर सरकारी वकील वीके शर्मा ने कोर्ट से कहा कि दोषियों ने अपना आर्थिक अपराध मान लिया था, लिहाजा इनके खिलाफ किसी किस्म की उदारता (leniency) न बरती जाए। वकील ने यह भी कहा कि आर्थिक अपराध बाकी अपराधों के मुकाबले गंभीर होते हैं, इसलिए इनसे मजबूती से निपटा जाना चाहिए। हालांकि दोषियों ने कोर्ट से उम्र को देखते हुए उदारता बरतने की अपील की है, उन्होंने ये भी कहा है कि इससे पहले उनके खिलाफ कोई अन्य मामला नहीं था।
कोर्ट ने इन 3 अफसरों के अलावा KSSPL कंपनी और इसके एमडी पवन कुमार अहलूवालिया को भी धोखाधड़ी का दोषी करार दिया है। हालांकि, चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित गोयल को आरोपों से बरी कर दिया है। सीबीआई ने इस मामले में अक्टूबर 2012 में FIR दर्ज की थी, लेकिन 27 मार्च 2014 को उसने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी। कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2014 को क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और गुप्ता समेत अन्य को आरोपी मानते हुए समन जारी किया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कोल ब्लॉक के लिए KSSPL की तरफ से फाइल एप्लिकेशन अधूरी थी। इस एप्लिकेशन को कोयला मंत्रालय खारिज कर देता, क्योंकि यह जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक नहीं थी। सीबीआई ने यह आरोप भी लगाया कि कंपनी ने अपनी नेट वर्थ और क्षमता के बारे में गलत जानकारी दी थी। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि मप्र सरकार ने इस कंपनी को कोई कोल ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश नहीं की थी।

कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले में आरोप तय किए थे और कहा था कि पूर्व कोयला सचिव गुप्ता ने इस बारे में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (उस वक्त इनके पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था) को अंधेरे में रखा। गुप्ता ने कोल ब्लॉक आवंटन में कानून का वॉयलेशन (उल्लंघन) किया और भरोसे को भी तोड़ा। गुप्ता के खिलाफ 8 अलग-अलग चार्जशीट दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन सभी मामलों के ज्वाइंट ट्रायल की अपील खारिज कर दी थी। 2008 में रिटायरमेंट से पहले गुप्ता कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2 साल तक कोयला सचिव रहे थे। इन्होंने कोल माइनिंग राइट्स के 40 मामलों को मंजूरी देने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्षता की थी।