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60 करोड़ लोगों को पीने का पानी नहीं, 2 लाख लोग मर जाते हैं प्‍यासे : नीति आयोग

नई दिल्‍ली। देश के कई राज्‍यों में पानी की किल्‍लत से लोग जूझ रहे हैं और इस बीच नीति आयोग की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. नीति आयोग द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की लगभग आधी आबादी यानी 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं, जबकि 75 प्रतिशत आबादी को पीने के पानी के लिए हर रोज काफी भटकना पड़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 2 लाख लोग हर साल पानी की कमी से मर रहे हैं.

122 देशों में भारत 120वें स्थान पर
नीति आयोग के जल प्रबंधन इंडेक्स के मुताबिक, देश इतिहास के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है. जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने नीति आयोग का जल प्रबंधन इंडेक्स जारी किया है, जिसके बाद यह बात सामने आई है. नीति आयोग के जल प्रबंधन इंडेक्स के मुताबिक तकरीबन 60 करोड़ लोग पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं. वहीं, तकरीबन 75 फ़ीसदी घरों में अहाते में पीने का पानी मुहैया नहीं है. 84 फ़ीसदी ग्रामीण घरों में पाइप से पानी नहीं पहुंच पाता है. देश में करीब 70 फीसदी पानी पीने लायक नहीं है. आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, गांवों में 84 प्रतिशत आबादी जलापूर्ति से वंचित है जो पानी उपलब्ध है उसमें भी 70 प्रतिशत प्रदूषित है. वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में भारत 120वें स्थान पर है.

जल संकट से बचने के लिए तैयार होगा प्‍लान 
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश अभी इतिहास के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है. साथ ही 60 करोड़ आबादी पानी की कमी से जूझ रही है. हालांकि, इस रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि देश में पानी का सबसे बेहतर प्रबंधन गुजरात में है. नीति आयोग की बैठक के बाद केन्‍द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मैं दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री और पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के साथ विशेष बैठक बुलाने का फैसला किया है जिसमें दिल्‍ली को दो साल में वायु और जल प्रदूषण फ्री करने के लिए एक प्‍लान तैयार किया जाएगा.

केपटाउन के जैसा न हो जाए हाल
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि देश में पानी की स्थिति अच्छी नहीं है. पिछले 70 साल में इस पर ध्यान नहीं दिया गया. हर साल इतनी बारिश होती है, बाढ़ आती है लेकिन हमने कभी सोचा ही नहीं कि कभी पानी की समस्या भी हो सकती है. अब स्थिति ऐसी हो गई है कि इस विषय को गंभीरता से लेना होगा. यदि हम अपने शहरों को केपटाउन नहीं बनाना चाहते तो अभी से जल प्रबंधन शुरू करना होगा.

इन राज्‍यों की हालत बेहद खराब
नीति आयोग द्वारा जारी रैंकिंग में 24 राज्यों के आंकड़े जारी किए गए हैं जिनमें बड़े राज्यों की श्रेणी में नीचे से चार राज्य झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार हैं. वहीं, पूर्वोत्तर तथा हिमालयी राज्यों में मेघालय का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. वर्ष 2015-16 की तुलना में 2016-17 में सबसे ज्यादा सुधार राजस्थान, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, झारखंड, हरियाणा और गुजरात में देखा गया है.