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सूबे के सवा करोड़ से अधिक परिवारों का पेट भरेंगे पडोसी राज्य

bhook1लखनऊ। यूपी में इस बार अनाज का संकट पैदा हो गया है. जिसके चलते सूबे के  सवा करोड़ से अधिक परिवारों का पेट पड़ोसी राज्यों के अनाज से भरने के लिए राज्य सरकार अमादा है. दरअसल निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप इस बार गेहूं की सरकारी खरीद न हो पाने के चलते अनाज के गोदाम खाली पड़े है. किसानों से खरीदा इतना गेहूं इन गोदामों में नहीं आया है, जिससे पूरे साल राशन में वितरण किया जा सके.

राज्य में गेहूं के मंडराते संकट को देखते हुए भारतीय खाद्य निगम सक्रिय हो गया है. पंजाब, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में सरकारी खरीद का गेहूं प्रदेश की गोदामों में मंगाकर सुरक्षित कराया जा रहा है ताकि राज्य में राशन वितरण के काम में किसी भी तरह की दिक्कत न खड़ी हो. फिलहाल अभी राशन वितरण के लिए गोदामों में तीन से चार महीने के गेहूं का स्‍टॉक है. सूत्रों के मुताबिक पड़ोसी राज्यों में सरकारी खरीद के गेहूं की रैक आ रही है, जिससे जल्द ही प्रदेश की गोदामों को अनाज से भरा लिया जाएगा.

राज्य में चार करोड़ से ज्यादा परिवार सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े हैं. जिसमे करीब 1.05 करोड़ परिवारों को अनिवार्य रूप से गेहूं का वितरण होता है जबकि बाकी के परिवारों को उपलब्धता के आधार पर गेहूं का वितरण किया जाता है. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक हर साल राशन में वितरण के लिये औसतन 55 से 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत होती है. प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016-17 में 45 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था. बीती 15 जून को खत्म हुई खरीद में कुल साढ़े पांच लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद हो सकी है. सरकारी आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाये तो पिछले साल के एवज में इस बार राशन में सिर्फ एक महीने की जरूरत के बराबर ही राज्य में गेहूं की खरीद हुई है. अधिकारी बताते है कि 8 से 10 लाख मीट्रिक टन गेहूं पहले से उपलब्ध है. इस तरह करीब 15 लाख मीट्रिक टन गेहूं प्रदेश की गोदामों में है. बाकी का गेहूं पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में आएगा.

राशन वितरण के लिये प्रदेश के विभिन्न जिलों में बनी गोदामों के भंडारण की कुल क्षमता करीब 70 लाख मीट्रिक टन है. जिसमे राज्य भंडारागार निगम 28.13 लाख केन्द्रीय भंडारागार निगम 7.74 लाख भारतीय खाद्य निगम 14.62 लाख यूपी सहकारी संघ 10.02 लाख तथा राज्य सरकार के गोदामों की क्षमता 1.07 लाख मीट्रिक टन है. इसके अलावा बाकी निजी क्षेत्र की गोदाम हैं. ये गोदाम मेरठ सहारनपुर मुरादाबाद बरेली लखनऊ आगरा अलीगढ़ कानपुर फैजाबाद देवीपाटन गोरखपुर बस्ती सहित प्रदेश के 17 जिलों में है.

प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनाज संकट की मुख्य वजह पिछले कई साल से गेहूं की लगातार कम खरीद का होना है. आंकड़े बताते है कि प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद वर्ष 2012-13 में गेहूं की रिकॉर्ड सरकारी खरीद हुई थी. निर्धारित लक्ष्य को पार करते हुये 55 लाख मीट्रिक टन के आसपास राज्य के किसानों से गेहूं खरीदा गया था. उसके बाद वर्ष 2013-14 वर्ष 2014-15 तथा वर्ष 2015-16 में लगातार लक्ष्य की 20 से 25 फीसदी गेहूं की खरीद होती रही है. जिसकी वजह से राशन में गेहूं पर संकट के बादल मंडराने लगे है. हालांकि भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी राशन में किसी भी तरह के गेहूं संकट से इंकार करते है. इनका कहना है कि पड़ोसी राज्यों में रिकार्ड खरीद होने के अलावा गेहूं का पर्याप्‍त भंडारण है. जिससे यूपी में राशन वितरण का संकट नहीं होगा.