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नई दिल्‍ली।  दहेज उत्पीड़न के मामलों (आईपीसी 498A) में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया है.मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने पुराने फैसले में संशोधन करते हुए कहा है कि मामले की शिकायत की जांच के लिए कमेटी की जरूरत नहीं है. पुलिस को जरूरी लगे तो वह आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संबंधित 7 अहम बातें यहां समझिए.

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1. अब फैमिली वेलफेयर कमेटी नहीं बनेगी. यानी शिकायतें किसी कमेटी की समीक्षा के लिए नहीं भेजी जाएगी. लेकिन गिरफ्तारी से पहले के विकल्पों पर रोक नहीं. यानी गिरफ्तारी पुलिस अधिकारी के विवेक पर होगी. अग्रिम जमानत का प्रावधान होगा.

2. 2017 में इस मामले में चली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने आदेश दिया था कि दहेज उत्पीड़न की शिकायतों पर तुरंत गिरफ्तारी न हो और ऐसे मामलों को देखने के लिए हर जिले में फैमिली वेलफेयर कमिटी बनाया जाए. साथ ही उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई हो.

3. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम वैवाहिक विवाद से संबंधित तथ्यों को देखने के लिए नहीं हैं बल्कि हमें ये देखना है कि सिस्टम में जो गैप है उसे आदेश के जरिये भरा जाए. हमें ये देखना है कि क्या गाइडलाइंस जारी कर कानून के गैप को भरा गया है? क्या अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर फैसला देना सही था? साथ ही ये भी देखना जरूरी है कि इस आदेश के क्या कानून कमजोर हुआ है?

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4. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाते हुए कहा कि विक्टिम प्रोटेक्शन के लिए ऐसा करना जरूरी है. SC ने कहा कि आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत का विकल्प अभी भी खुला है.

5. सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर कहा गया है कि कोर्ट को कानून में इस तरह का बदलाव करने का हक नहीं है. कानून का मकसद महिलाओं को इंसाफ दिलाना है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते देश भर में दहेज उत्पीड़न के मामलों में गिरफ्तारी बंद हो गई है.

6. सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशा-निर्देश में कहा था कि मुकदमे के दौरान हर आरोपी को अदालत में उपस्थित होना अनिवार्य नहीं होगा. कोई आरोपी यदि विदेश में रह रहा है, तो सामान्य तौर पर उसका पासपोर्ट जब्त नहीं होगा. उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी नहीं होगा.

7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह पूर्व में दो जजों की बेंच द्वारा दिए गए फैसले की समीक्षा करेगी, जिसमें उन जजों ने दहेज मामलों से जुड़े केसों की जांच के लिए कुछ दिशा-निर्देश तैयार करने के आदेश दिए थे.