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हम अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने जा रहे हैं, चार साल पहले भी बात की थी, लेकिन यह सौदा नहीं हो पाया था: जयशंकर

नई दिल्ली वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन (जीटीएस) में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एक महीने में अमेरिकी प्रशासन में काफी बदलाव हुए हैं। इस बीच हमने वैचारिक रूप से एक समझौता किया है कि हम एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करेंगे। हमने पहले ट्रंप प्रशासन से चार साल तक बातचीत की थी। मगर यह सौदा नहीं हो पाया।

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच हो रही व्यापार समझौता वार्ता पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा दावा किया। वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन (जीटीएस) में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हम अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने जा रहे हैं। पहले भी हमने ट्रंप प्रशासन से चार साल तक बात की थी, लेकिन यह सौदा नहीं हो पाया था। मगर अब हम पूरी तरह से तैयार हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि एक महीने में अमेरिकी प्रशासन में काफी बदलाव हुए हैं। इस बीच हमने वैचारिक रूप से एक समझौता किया है कि हम एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करेंगे। हम ऐसा समाधान खोजेंगे जो भारत-अमेरिका दोनों के लिए काम करेगा। यह एक खुली प्रक्रिया नहीं है क्योंकि यह सब व्यापार वार्ता से निराशा के कारण है।

उन्होंने कहा कि हमने पहले ट्रंप प्रशासन से चार साल तक बातचीत की थी। मगर यह सौदा नहीं हो पाया था। मगर इस बार, हम निश्चित रूप से बहुत अधिक तत्परता से तैयार हैं। हम इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं। हमारी व्यापार टीमें वास्तव में उत्साहित हैं। अतीत में हमारे बारे में शिकायत की गई थी कि हम ही वार्ता को धीमा करने वाले हैं। मगर आज यह उल्टा है। हम तीनों मामलों में उस तत्परता से आगे बढ़ रहे हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका में पिछले साल में एक बड़ा बदलाव हुआ है। लेकिन एक और बदलाव हुआ है और यह एक विकास है। यह है चीन की उन्नति। वहां व्यापार की कहानी तकनीक की कहानी भी है। डीप सीक इनमें से एक था। मैं तर्क दूंगा कि चीन द्वारा किए गए परिवर्तन अमेरिकी स्थिति में बदलाव के समान ही हैं। इससे साफ है कि एक व्यक्ति कुछ हद तक दूसरे से प्रभावित होता है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन संबंधों के संबंध में हमारे अनुभव बहुत अलग हैं। हमने वास्तव में दोनों चरम सीमाओं को देखा है। स्वतंत्रता के बाद के पहले कुछ दशकों में अमेरिका और चीन के बीच बहुत तीखी प्रतिस्पर्धा थी और हम इसके बीच में फंस गए। इससे भी बदतर था अमेरिका और चीन के बीच गहरा सहयोग और इसका अंत गलत पर होना। इसमें से हमारे लिए कोई भी स्थिति नहीं है। यह एक तरह से गोल्डीलॉक्स समस्या की तरह है।

एस जयशंकर ने कहा कि हम प्रतिस्पर्धा और मुकाबले के दौर की ओर बढ़ रहे हैं। विभिन्न देशों को इसके लिए योजना बनाने की आवश्यकता है। यह योजना बनाना भी बहुत कठिन होने जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले हम यह कहते हुए क्षेत्रों को अलग कर सकते थे कि मुकाबला कोई मायने नहीं रखता। यह केवल व्यापार है, यह राजनीति नहीं है, यह रक्षा नहीं है, यह संवेदनशील नहीं है। मगर अब संवेदनशील की हमारी परिभाषा का विस्तार हुआ है। अब कुछ भी केवल व्यापार नहीं है। अब कुछ भी विशुद्ध रूप से व्यवसाय नहीं है। सब कुछ व्यक्तिगत भी है।