बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में बिहार में पलायन और बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है। विपक्ष इस मुद्दे के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि पलायन और बेरोजगारी के मुद्दे पर महागठबंधन में दो दल यानी कि कांग्रेस और राजद अब आमने-सामने हो गए हैं। दोनों ही दलों की ओर से इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। लेकिन इसके जरिए एक ओर जहां तेजस्वी यादव है तो दूसरी ओर कन्हैया कुमार हैं। दावा किया जा रहा है तेजस्वी यादव के एजेंडे को कन्हैया कुमार ने बिहार में पूरी तरीके से लपक लिया है।
तेजस्वी बनाम कन्हैया
तेजस्वी यादव लगातार बेरोजगारीस पलायन और शिक्षा को मुद्दा बना रहे हैं। तो वहीं इन्हीं मुद्दों के सहारे कन्हैया कुमार भी बिहार में कांग्रेस की राजनीति को धार देने की कोशिश कर रहे हैं। कन्हैया कुमार बिहार ने पलायन रोको, नौकरी दो पदयात्रा निकल रहे हैं। इसके जरिए बेरोजगारी और पलायन को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है। यह कहीं ना कहीं राजद के लिए असहज करने वाली स्थिति हो सकती है। दावा तो यह तक किया जा रहा है कि कन्हैया कुमार की पदयात्रा तेजस्वी के लिए परेशानी की सबब बन सकती है। यह दोनों नेता एक ही गठबंधन के हिस्सा हैं, लेकिन एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।
कन्हैया को राहुल का साथ
साथ ही साथ दोनों नेताओं की युवाओं में अच्छी पकड़ है। देखना इस बात पर दिलचस्प हो जाएगा कि युवाओं के वोटो को अपनी और कौन खींचने में ज्यादा कामयाब रहता है। लालू यादव की वीटो के बावजूद भी कन्हैया कुमार को कांग्रेस आलाकमान का पूरा साथ मिल रहा है। यही कारण है कि कन्हैया की यात्रा में खुद राहुल गांधी शामिल हुए। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या तेजस्वी यादव के चुनावी मुद्दे को अब कांग्रेसी छीनना चाहती है। पिछले 5-7 सालों में देखें तो तेजस्वी यादव लगातार रोजगार की बात कर रहे हैं। उन्होंने पिछले चुनाव में 10 लाख नौकरी देने का भी वादा किया था। इस बार भी वह कुछ इसी तरीके का वादा कर रहे हैं।
लालू का वीटो
लेकिन कन्हैया कुमार भी इसमें पीछे नहीं है। वह युवाओं से सक्षम बनने की बात कर रहे हैं। रोजगारी की बात कर रहे हैं। लगातार आरक्षण का भी मुद्दा उठा रहे हैं। पलायन को रोकने का भी दावा कर रहे हैं। यह बात किसी से भी छिपी नहीं है कि लालू यादव कभी भी खुलकर नहीं चाहते कि कन्हैया कुमार बिहार की राजनीति में एंट्री करें। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी हमें यह देखने को मिला जब कन्हैया कुमार सीपीआई की टिकट पर चुनावी मैदान में थे और राजद का समर्थन उन्हें नहीं मिल सका था। 2024 के चुनाव में भी यही हुआ। कांग्रेस चाहती थी कि कन्हैया कुमार बिहार से चुनाव लड़े। लेकिन लालू ने वीटो लगा लिया। इसके बाद कन्हैया कुमार को दिल्ली से चुनावी मैदान में उतारा गया था।
राजद का डर
इसका बड़ा कारण यह है कि लालू यादव और राजद को लगता है कि कन्हैया कुमार कहीं तेजस्वी यादव के कंपीटीटर ना बन जाए। कन्हैया कुमार जेएनयू से पढ़े लिखे जबकि तेजस्वी की शिक्षा को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। कन्हैया कुमार शानदार वक्ता हैं, लोगों को तर्क पूर्ण बातों से अपनी ओर खींचते हैं। जबकि दूसरी ओर देखे तो तेजस्वी यादव इस मामले में पिछड़ते हुए दिखाई देते हैं। दिलचस्प होगा कि बिहार की राजनीति में इन दोनों नेताओं का भविष्य क्या होता है। लेकिन फिलहाल में देखें तो ऐसा लग रहा है कि दोनों नेता एक दूसरे के आमने-सामने है।