नई दिल्ली लालू के सहयोगी अमित कत्याल को 10 नवंबर, 2023 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत ईडी की ओर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें उच्च न्यायालय ने 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने पर जमानत दी थी।
प्रवर्तन निदेशालय को सुप्रीम कोर्ट से भारतीय रेलवे में कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करारा झटका लगा है। कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी और व्यवसायी अमित कत्याल को दी गई जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा, ‘कोई बड़ी मछली नहीं। मुख्य आरोपियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। केवल छोटी मछलियों के पीछे क्यों पड़े हैं? क्या आप उनके पीछे जाने से डरते हैं? आपने 11 अन्य आरोपियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया?’
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलील
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश कानून की दृष्टि से ठीक नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
दरअसल, हाईकोर्ट ने पिछले साल 17 सितंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपनाई गई पक्षपाती नीति की निंदा की थी और कत्याल को जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले में किसी अन्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने और जांच में शामिल होने के बावजूद रांची के लिए उड़ान भरने से पहले इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उन्हें बेवजह हिरासत में लिया गया। जमानत आदेश में कहा गया कि एजेंसी ने उनकी गिरफ्तारी की जरूरत नहीं बता पाई। कोर्ट इस आधार पर भी कत्याल को जमानत का हकदार माना कि उनकी भूमिका अन्य आरोपियों की तुलना में काफी कम थी।
10 नवंबर 2023 को गिरफ्तारी
कत्याल को 10 नवंबर, 2023 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत ईडी की ओर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें उच्च न्यायालय ने 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने पर जमानत दी थी।
ईडी की दलील
ईडी की दलील थी कि कत्याल ने राजद सुप्रीमो के कथित भ्रष्ट कामों से हुई आय को संभालने में लालू और उनके परिवार के सदस्यों की सक्रिय रूप से मदद की। ईडी ने दावा किया था कि कत्याल एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का निदेशक था। इसी कंपनी ने लालू की ओर से उम्मीदवारों से जमीन खरीदी थी। आरजेडी सुप्रीमो के परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी इस मामले में आरोपी हैं।
ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
22 मई को एक ट्रायल कोर्ट ने कत्याल की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसे राहत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
नौकरी के बदले जमीन का मामला क्या?
अधिकारियों ने बताया कि यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से संबंधित है। यह नियुक्ति 2004 से 2009 के बीच लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान की गई थी। इन नियुक्तियों के बदले में लोगों ने राजद सुप्रीमो के परिवार या सहयोगियों के नाम पर जमीन के टुकड़े उपहार में दिए या हस्तांतरित किए। 18 मई 2022 को लालू और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।