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बजट 2025 में दी गई आयकर में भारी छूट का मतलब यह नहीं है कि सरकार ने पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है: सीता रमण

नई दिल्ली मुंबई में हितधारकों के साथ बजट के बाद की बातचीत में, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत पर जोर दिया गया है, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में पूंजीगत व्यय प्रावधानों में लगातार वृद्धि की है। इसके साथ ही, वित्त मंत्री ने भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी निवेशकों की ओर से की जा रही लगातार पर भी अपनी राय दी है। आइए जानें वित्त मंत्री ने क्या-क्या कहा।

बजट 2025 में दी गई आयकर में भारी छूट का मतलब यह नहीं है कि सरकार ने पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को यह बात कही। वित्त मंत्री की यह प्रतिक्रिया बजट 2025-26 में सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को आयकर के दायरे से बाहर रखने के बाद यह बहस शुरू होने के बाद आई है कि सरकार ने लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी के आंकड़ों में धीमी वृद्धि को देखते हुए खपत को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।

पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत पर जोर देने की बात सही नहीं

मुंबई में हितधारकों के साथ बजट के बाद की बातचीत में, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत पर जोर दिया गया है, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में पूंजीगत व्यय प्रावधानों में लगातार वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि व्यापक तस्वीर यह है कि कोविड के बाद से सरकार का जोर पूंजीगत संपत्ति बनाने के लिए सार्वजनिक व्यय पर बना हुआ है।

इस बार, बजट 2025 में  पूंजीगत व्यय पर खर्च का प्रस्ताव 10.2 प्रतिशत अधिक और लगभग 16 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें पीएसयू पूंजीगत व्यय भी शामिल है। सरकार ने खुद 2025-26 के लिए 11.21 लाख रुपये का पूंजीगत व्यय बजट में रखा है। 

चालू वित्तीय वर्ष में प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.48 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान

2024-25 के संशोधित अनुमानों में 13.18 लाख करोड़ के मुकाबले प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.48 लाख करोड़ होने का अनुमान है। प्रभावी पूंजीगत व्यय में मुख्य पूंजीगत व्यय और पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्यों को दिया जाने वाला सहायता अनुदान शामिल हैं। हालांकि पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए सहायता अनुदान को बजट में राजस्व व्यय के रूप में शामिल किया जाता है, लेकिन वे राज्यों में पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण पर खर्च होते हैं हैं। वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि लोगों का यह सोचना कि पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर उपभोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है, यह सही नहीं है।”

पूंजीगत व्यय पर जोर हमेशा से हमारी सरकार की प्राथमिकता

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने पूंजीगत व्यय बजट बढ़ाया है और साथ ही कर में कटौती के माध्यम से कुछ रियायतें दी हैं, खासकर व्यक्तिगत आयकर, उन लोगों के लिए जो खर्च करना या बचत करना या निवेश करना चाहते हैं। वित्त ने करदाताओं के बारे में सोचने और उन्हें बड़ी कर राहत देने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस बात पर तुरंत सहमत हो गए कि बजट में 12 लाख रुपये तक की कर राहत का प्रस्ताव होना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज शायद (यह) ऐसा लग रहा है कि हमने पूंजीगत संपत्ति निर्माण के बजाय उपभोग बढ़ाने पर जोर दिया है, पर पूंजीगत व्यय पर जोर हमेशा से ही हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।”

सीतारमण ने जोर देकर कहा कि केंद्रीय बजट में आयकर में दी गई छूट और आरबीआई रेपो दर में कटौती से अर्थव्यवस्था में खपत में सुधार को बढ़ावा मिलेगा। 2025-26 के केंद्रीय बजट में आयकर छूट सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है, जिससे करदाताओं, खासकर मध्यम वर्ग को काफी राहत मिली है।

इक्विटी बाजार में एफआईआई की बिकवाली पर वित्त मंत्री ने दी यह प्रतिक्रिया

आयकर पर सरकार के हालिया फैसले से मध्यम आय वर्ग के एक करोड़ भारतीय करदाता कर के दायरे से बाहर आ जाएंगे। इन कर राहत प्रस्तावों के परिणामस्वरूप, सरकार प्रत्यक्ष करों के मद में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों के मद में 2600 करोड़ रुपये का राजस्व गंवा देगी। सरकार को उम्मीद है कि कम आयकर होने से करदाता पैसे बचाकर इसे उपभोग, बचत या निवेश के रूप में अर्थव्यवस्था में वापस लगाएंगे। इक्विटी बाजार में एफआईआई की बिकवाली पर वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसा माहौल है जिसमें निवेश से अच्छा रिटर्न मिल रहा है और इसके साथ ही मुनाफावसूली भी हो रही है।