प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाने वाली उनकी 128वीं जयंती पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की और भारतीय युवाओं से ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेने का आग्रह किया। मोदी ने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मजयंती के पावन अवसर पर पूरा देश श्रद्धापूर्वक उन्हें याद कर रहा है। मैं नेताजी सुभाष बाबू को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के पराक्रम दिवस का भव्य उत्सव नेताजी की जन्मभूमि पर हो रहा है। मैं ओडिशा की जनता को, ओडिशा सरकार को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
मोदी ने कहा कि कटक में नेताजी के जीवन से जुड़ी एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में नेताजी के जीवन से जुड़ी अनेक विरासतों को एक साथ सहेजा गया है। कई चित्रकारों ने कैनवास पर नेताजी के जीवन प्रसंग की तस्वीरें उकेरी हैं। उन्होंने कहा कि इन सबके साथ नेताजी पर आधारित कई पुस्तकों को भी इकट्ठा किया गया है। नेताजी की जीवन यात्रा की ये सारी विरासत ‘मेरे युवा भारत’ को एक नई ऊर्जा देगी। उन्होंने कहा कि आज जब हमारा देश विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में जुटा है, तब नेताजी सुभाष के जीवन से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि आज विश्व मंच पर भारत की भूमिका बढ़ रही है, भारत की आवाज बुलंद हो रही है। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनेगा। हमें नेताजी सुभाष की प्रेरणा से ‘एक लक्ष्य-एक ध्येय’ विकसित भारत के लिए निरंतर काम करते रहना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था ‘आजाद हिंद’। उन्होंने अपने संकल्प की सिद्धि के लिए अपने फैसले को एक ही कसौटी पर परखा ‘आजाद हिंद’। उन्होंने कहा कि नेताजी एक समृद्ध परिवार में जन्में। उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की। वो चाहते तो अंग्रेजी शासन में एक वरिष्ठ अधिकारी बनकर आराम की जिंदगी जीते। लेकिन उन्होंने आजादी के लिए कष्टों को चुना, चुनौतियों को चुना, देश-विदेश में भटकना पसंद किया। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष सुविधा क्षेत्र के बंधन में नहीं बंधे। इसी तरह आज हम सभी को विकसित भारत के निर्माण के लिए अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलना है। हमें खुद को विश्व स्तर पर सर्वोत्तम बनाना है, उत्कृष्टता को चुनना ही है, दक्षता पर फोकस करना है।
मोदी ने कहा कि नेताजी ने देश की स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज बनाई। इसमें देश के हर क्षेत्र, हर वर्ग के वीर-वीरांगनाएं शामिल थे। सबकी भाषाएं अलग-अलग थी, लेकिन भावना एक थी – देश की आजादी। उन्होंने कहा कि यही एकजुटता आज विकसित भारत के लिए भी बहुत बड़ी सीख है। तब स्वराज के लिए हमें एक होना था, आज विकसित भारत के लिए हमें एक रहना है। उन्होंने कहा कि बीते दशक में 25 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। ये बहुत बड़ी सफलता है। आज गांव हो या शहर, हर तरफ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है, साथ ही भारत की सेना की ताकत में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।