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कांग्रेस का आरोप, आम आदमी पार्टी सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 382 करोड़ रुपये के बड़े भ्रष्टाचार घोटाले में शामिल

कांग्रेस नेता अजय माकन ने बुधवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 382 करोड़ रुपये के बड़े भ्रष्टाचार घोटाले में शामिल है। एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए माकन ने दावा किया कि आप सरकार, जिसने अक्सर सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्टों के आधार पर कांग्रेस सरकार की आलोचना की है, अब अपने कार्यकाल के तहत 14 सीएजी रिपोर्टों में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही है।

माकन ने एक विशिष्ट सीएजी रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े घोटाले का खुलासा हुआ। माकन के अनुसार, रिपोर्ट में अस्पतालों के निर्माण में अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है, जिसमें कहा गया है कि परियोजनाओं को समय से पहले पूरा करने और पैसे बचाने के AAP के वादे के बावजूद, पिछले दशक में केवल तीन नए अस्पताल बनाए गए थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि तीनों अस्पताल-इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल और मौलाना आज़ाद डेंटल अस्पताल-कांग्रेस सरकार के तहत शुरू किए गए थे।

‘माकन ने कहा, “इंदिरा गांधी अस्पताल में पांच साल की देरी हुई, बुराड़ी अस्पताल में छह साल की देरी हुई और मौलाना आजाद डेंटल अस्पताल में तीन साल की देरी हुई।” कांग्रेस के कोषाध्यक्ष माकन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मैं सबके सामने ‘आप के पाप’ की पहली कड़ी रखना चाहता हूं। दिल्ली में एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी इसलिए बनाई थी, ताकि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकें। उस जमाने में केजरीवाल कैग रिपोर्ट के आधार पर ही कांग्रेस पर आरोप लगाते थे।’’ उन्होंने दावा किया कि इस वक्त कैग की 14 ऐसी रिपोर्ट हैं, जिसमें पूर्व की केजरीवाल सरकार के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, लेकिन अब वो रिपोर्ट सामने नहीं आ रहीं।

माकन ने कहा ‘‘ऐसे में हम केजरीवाल जी से पूछना चाहते हैं कि इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य से जुड़े मामले में 382 करोड़ का घोटाला कैसे है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘कैग की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली में पिछले 10 साल में सिर्फ तीन अस्पताल बनकर तैयार हुए। इन अस्तपाल को बनाने की शुरुआत कांग्रेस के समय हुई थी। लेकिन आप की सरकार के आने के बाद इन अस्पताल को बनने में समय तो ज्यादा लगा ही, बल्कि जितने की निविदा था, उससे ज्यादा पैसा खर्च हुआ।’’