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लालू से तो मिले राहुल गांधीए मगर तेजस्वी यादव के एक दावे की हवा निकालते गए , क्या अब महागठबंधन की रणनीति बदलेगी?

चुनावी साल है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बिहार का दौरा कर लौट गए हैं। आए तो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिलने भी गए। लेकिन, इसके पहले वह तेजस्वी यादव के एक दावे की हवा निकालते गए हैं।

बिहार में सीटें भी जातीय जनगणना के आधार पर बंटेगी, जिसे राहुल गांधी ने बताया फर्जी
लोकसभा के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी लेने वाले थे जातीय जनगणना का क्रेडिट
राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को बताया फर्जी;क्या बदलेंगे तेजस्वी यादव अपना एजेंडा?
चुनावी साल में मीडिया को दिए पहले इंटरव्यू में भी तेजस्वी यादव ने जनगणना का लिया था क्रेडिट

बिहार विधानसभा चुनाव समय पर होगा, यह पक्का है। सत्ता और विपक्ष- अब दोनों ने इसकी पुष्टि कर दी है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कह दिया है- ‘अब कोई खेला नहीं होगा।’ मतलब, तेजस्वी यादव चुनावी रण में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। वह यह भी कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी दलों का बना गठबंधन- इंडिया अब अस्तित्व में नहीं है। बिहार में महागठबंधन एक है। यह सारी बातें समझ में आ रही हैं, लेकिन चुनावी साल में पहली बार बिहार आए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कुछ ऐसा बोल गए हैं कि महागठबंधन के अंदर संशय की स्थिति हो गई है। तेजस्वी यादव जिसे चुनाव में भुनाने वाले थे, उस एक बड़े मुद्दे पर राहुल गांधी ने कांग्रेस की अलग राय रख दी।

राहुल जिसे फर्जी बता गए, उसे राजद चुनावी एजेंडे में रख रहा था
महागठबंधन के सबसे मजबूत दल- राष्ट्रीय जनता दल ने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंधन के खिलाफ मोर्चा ले रखा था। लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव बार-बार यह कह रहे थे कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ गए तो बिहार में जातीय जनगणना हो सकी। वह बिहार के जातीय जनगणना को लगातार अपने एजेंडे में रख रहे हैं। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बनी हर कार्य-योजना में इसे जगह देने का मन बनाया।
“विकास का कार्य हम लोगों ने किया है। जातीय आधारित गणना कराया है। आरक्षण की सीमा हम लोगों ने बढ़ाई है। हम लोगों ने जो कहा, वह किया।” लेकिन, यह क्या! राहुल गांधी ने तो पटना में आकर ही कह दिया कि बिहार में फर्जी जातिगत जनगणना हुई थी।

जातिगत जनगणना के क्रेडिट वार में तेजस्वी पिछड़ जाएंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के जनादेश से राज्य में गठित हुई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया था। तत्कालीन विपक्ष, यानी महागठबंधन के दलों ने भी इसका समर्थन किया। आम लोगों ने विरोध शुरू किया और मामला कोर्ट में चला गया। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में एनडीए छोड़ महागठबंधन का दामन थाम लिया और इसी के बाद जातीय जनगणना होकर इसकी रिपोर्ट आई और अक्टूबर 2023 में आननफानन में आरक्षण भी बढ़ा दिया गया, हालांकि कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी। इस रोक को भाजपा की साजिश बताते हुए तेजस्वी यादव लगातार बिहार में जातीय जनगणना कराने और आरक्षण बढ़ाने का दावा करते रहे हैं। एक तरफ एनडीए 2020 में अपनी सरकार बनने पर जातीय जनगणना का फैसला करने के लिए क्रेडिट ले रहा तो दूसरी तरफ अगस्त 2022 में उप मुख्यमंत्री बने तेजस्वी यादव जगणना करा आरक्षण बढ़ाने का क्रेडिट ले रहे। दोनों ही समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे, इसलिए उनका क्रेडिट तो बनता ही है। ऐसे में अब राहुल गांधी के बयान के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या तेजस्वी इस क्रेडिट वार में पिछड़ जाएंगे?

राहुल गांधी के इस बयान का असर बिहार में ज्यादा क्यों?

बिहार में चुनावी राजनीति करने वाले हर दल को पता है कि यहां विकास से ज्यादा जाति बड़ा मुद्दा है। जातीय जनगणना के बाद बढ़ा आरक्षण लागू हुआ था, तभी जातीय गतिरोध बढ़ गया था। बहुत बड़ा कुछ हो, इसके पहले हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस रोक को हटाने से मना कर दिया। यह मामला अभी वहीं है। लेकिन, बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों से जो माहौल बना- वह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कहीं-न-कहीं प्रभाव दिखाएगा, यह पक्का है। चाणक्या इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं-  “बिहार में सीटों का बंटवारा भी इसी जातीय जनगणना के आधार पर होगा और हमेशा की तरह जातीय गोलबंदी से ही चुनाव परिणाम भी प्रभावित होगा। ऐसे में राजद अगर अब जातीय जनगणना का क्रेडिट लेने उतरता है तो भाजपा उसे कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी का पटना वाला बयान आइने की तरह दिखा सकती है। राहुल गांधी का यह बयान महागठबंधन की एकता के लिए मुसीबत बन सकता है, क्योंकि उन्होंने जातीय जनगणना को फर्जी बता दिया।”