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बदायूं डबल मर्डर: कातिलों से बचने काे लिए मीना ने किया संघर्ष, बच्ची के सिर में तीन चोट के निशान, पोस्टमार्टम में दिखी क्रूरता

बदायूं कातिलों से बचने के लिए महिला ने संघर्ष किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला के सिर में सात तो बच्ची के सिर में तीन चोट के निशान मिले हैं। मीना के सीधे हाथ में भी चोट के निशान मिले हैं। दोनों शव चारपाई पर पड़े थे।

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हत्या से पहले मीना ने खुद को बचाने के लिए कातिल से काफी संघर्ष किया था। यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है। मीना के हाथ में खरोंच के निशान भी मिले हैं। इससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि घटना के दौरान मीना ने बचने की कोशिश की होगी। मीना के सिर में सात जगह चोट के निशान पाए गए हैं। वहीं तीन साल की मासूम कल्पना के सिर में तीन चोट के निशान आए हैं।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक कातिल ने मीना के सिर पर तब तक प्रहार किया जब तक वह मर नहीं गई। उसके सिर पर छह से सात बार मुकरी मारी गई है। वहीं मासूम मुस्कान के सिर पर तीन बार मुकरी से प्रहार किया गया। सभी प्रहार सामने से किए गए हैं। इसके अलावा मीना के दाहिने हाथ पर खरोंच के निशान मिले हैं।

हत्या के इरादे से ही घर में घुसे थे कातिल
अंदेशा जताया जा रहा है कि मीना ने कातिल को पहचान लिया था। बचाव में उसने हाथ आगे किया, जिससे उसके सीधे हाथ में अंगुली में चोट आई। इससे साफ है कि हत्या होने से पहले मीना जाग रही थी। पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, लेकिन कहीं भी किसी सामान के बिखरने के निशान नहीं मिले हैं। मतलब साफ है कि हत्या के इरादे से ही कातिल घर में घुसे थे।
शादी के दस साल बाद रंजिश की बात नहीं उतर रही गले
अलापुर के गांव हयातनगर में हुए दोहरे हत्याकांड ने सभी को झकझोर दिया है। परिवार के लोगों के मुताबिक प्रेम संबंध की रंजिश के चलते मीना और कल्पना की हत्या हुई है, लेकिन यह बात किसी के गले नहीं उतर रही। रामनाथ का बड़ा बेटा विजय करीब दस साल पूर्व सखानू निवासी आरिश का लोडर वाहन चलाता था। यहां उसकी दोस्ती सुनील के साथ हो गई थी।
विजय का सुनील के घर आना-जाना हो गया था। इस दौरान विजय के प्रेम संबंध सुनील की चचेरी बहन आशा पुत्री प्रेमपाल से हो गए थे। विजय के छोटे भाई अजय ने बताया कि विजय से पहले उसकी भाभी आशा अपने ही चचेरे भाई सुनील के साथ चली गई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सुनील को जेल भी जाना पड़ा था।

बाद में आशा का विजय से प्रेम प्रसंग हो गया वह उसके साथ चली गई। दोनों ने प्रयागराज में कोर्ट मैरिज की। इस घटनाक्रम को करीब दस साल बीत चुके हैं। आशा के परिवार वालों को बदला लेना होता तो दस साल में ही कुछ करते, लेकिन एक भी घटना नहीं हुई। इसलिए आशा के पिता व भाई पर हत्या के आरोप किसी के गले नहीं उतर रहे हैं।