नई दिल्ली
चीन में तबाही मचाने वाला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस अब भारत में भी पहुंच गया है। बंगलूरू में इसके पहले मामले की पुष्टि की गई है, यहां आठ महीने की बच्ची को इस वायरस से संक्रमित पाया गया है।
पूरी दुनिया कोरोना महामारी से उबर ही रही थी, इसी बीच चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के कारण फिर से कोविड-19 के पीक जैसे हालात बनने लगे। अस्पतालों और श्मशान में बढ़ती भीड़ की खबरों और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने दुनियाभर की नींद उड़ा दी। वैसे तो ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई नया वायरस नहीं है, हालांकि जैसी इसकी प्रकृति और संक्रामकता देखी जा रही है, कई रिपोर्ट यहां तक कहने लगे हैं कि अगर संक्रमण को कंट्रोल न किया गया तो ये पांच साल में एक और वैश्विक महामारी का कारण बन सकता है। 20-25 दिनों के भीतर ही एचएमपीवी ने चीन सहित दुनियाभर के स्वास्थ्य एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।
अमेरिका में एचएमपीवी संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉ रविंद्र बताते हैं ये बहुत गंभीर रोग वाला वायरस नहीं है। इससे ज्यादातर संक्रमितों में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं, कुछ लोगों में इसके कारण अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के मामले जरूर ट्रिगर हो सकते हैं। ये वायरस ज्यादातर कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों या फिर कमजोर इम्युनिटी वालों को अपना शिकार बना रहा है।
डॉक्टर कहते हैं, जैसे कोरोनावायरस में म्यूटेशन के बाद 2019-20 में नोवेल कोरोनावायरस आया और दुनियाभर में तबाही मचाई। माना जा रहा है कि एचएमपीवी में भी कुछ बदलाव हुए हैं, पर इसके ज्यादा खतरनाक साबित होने का डर कम है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को समझिए
डॉ रविंद्र गोडसे बताते हैं, एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। ये दुनियाभर में 60 साल से अधिक समय से है और पिछले करीब 25 साल से हम सभी इसके बारे में जानते हैं। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को समझने के लिए पहले जानना होगा कि वायरस दो प्रकार के होते हैं- डीएनए और आरएनए। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस, आरएनए वायरस है। डीएनए वायरस स्थिर होते हैं मतलब इसमें कोई बदलाव नहीं होता है वहीं आरएनए वायरस में म्यूटेशन होता रहता है।
डॉ रविंद्र कहते हैं, अभी तक की प्रकृति या रोगियों को देखते हुए इतना समझा जा रहा है कि ये कोविड जैसी मुसीबतों का कारण तो नहीं बनने वाला है। हालांकि अभी एचएमपीवी के नए म्यूटेशनों पर विस्तृत अध्ययन की रिपोर्ट का इंतजार है।