केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाई। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 जनवरी को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू को एक ‘चादर’ सौंपी थी, जिसे 13 वीं शताब्दी के सूफी संत- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के ‘उर्स’ के अवसर पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाया जाना था। किरण रिजिजू ने बाद में कहा कि हम यहां आने के लिए भाग्यशाली हैं। हम पीएम मोदी की ओर से चादर लाए हैं। मैंने पीएम मोदी का संदेश भी पढ़ा। हमने यहां आशीर्वाद मांगा।
रीजीजू ने कहा, उर्स के इस पावन अवसर पर हम चाहते हैं कि देश में अच्छा माहौल बने। किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे हमारे देश का सौहार्द प्रभावित हो। जयपुर में उन्होंने कहा कि चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, पारसी हो, बौद्ध हो या जैन हो, दरगाह में सभी का स्वागत होता है। उन्होंने कहा दरगाह में लाखों लोग आते हैं और लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए, इसलिए वहां की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए और व्यवस्था में सुधार के की कोशिशें की जाएंगी। अजमेर की स्थानीय अदालत में दरगाह के संबंधित दावे के बारे में पूछे जाने पर रीजीजू ने कहा, मैं सिर्फ चादर चढ़ाने आया हूं।
इसको लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने कहा कि पूरे देश में बीजेपी, संघ परिवार और उनके संगठन कोर्ट जा रहे हैं कि यहां-वहां खुदाई होनी चाहिए वे कह रहे हैं कि ये मस्जिद नहीं है, वो दरगाह नहीं है। प्रधानमंत्री चाहेंगे तो ये सब बंद हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि पिछले दस साल से यहां बीजेपी की सरकार है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। 7 से ज्यादा मस्जिदें और दरगाहें उत्तर प्रदेश से हैं, जहां बीजेपी सत्ता में है और जहां से प्रधानमंत्री सांसद हैं। चादर भेजने से कुछ नहीं होने वाला।
पिछले वर्ष नवंबर में अजमेर की एक अदालत ने एक याचिका स्वीकार की थी जिसमें दावा किया गया था कि दरगाह शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई है। अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किए थे। याचिकाकर्ता हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने प्रधानमंत्री से इस बार चादर नहीं भेजने का आह्वान किया था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में अजमेर दरगाह पर उर्स का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री हर साल दरगाह के लिए चादर भेजते हैं।