स्विट्जरलैंड में चेहरा ढकने पर प्रतिबंध क्यों लगा है? इसके तहत क्या-क्या प्रतिबंधित है? इससे स्विट्जरलैंड की कितनी आबादी प्रभावित होगी और पहले से किन-किन देशों में पहले से ही इस तरह की पाबंदियां लागू हैं?
स्विट्जरलैंड में नए साल पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। इसी के साथ एक जनवरी के बाद से अब बुर्के, नकाब या किसी अन्य तरह की चेहरा ढकने की चीज के साथ सार्वजनिक स्थान पर निकलने वालों पर 1000 स्विस फ्रैंक्स का जुर्माना लगाया जा सकता है।
स्विट्जरलैंड में 2021 में हुए जनमत संग्रह में सार्वजनिक स्थल पर चेहरा ढकने पर पाबंदी लगाने के पक्ष में वोटिंग हुई। इसके तहत सार्वजनिक स्थलों पर मुस्लिम महिलाओं के बुर्के और नकाब पर भी पाबंदी लगाने का फैसला किया गया। जनमत संग्रह में 51.21% नागरिकों ने चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में वोट किया था, जबकि 48.8 फीसदी लोगों ने इसके विरोध में वोट किया। गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड में लोगों को लोकतांत्रिक नियमों के तहत अधिकतर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में जनमत संग्रह में हिस्सा लेने का अधिकार होता है।
स्विट्जरलैंड में चेहरा ढकने पर पाबंदी से जुड़ा प्रस्ताव दक्षिणपंथी स्विस पीपुल्स पार्टी (एसवीपी) की तरफ से लाया गया। इस पार्टी ने प्रस्ताव लाने के साथ ही नारा दिया- कट्टरवाद रोकें। एसवीपी के प्रस्ताव में इस्लाम का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया गया, हालांकि इसे देश में ‘बुर्का बैन’ से जोड़कर ही पेश किया जाता रहा। इसके तहत सड़कों पर प्रदर्शन करने वालों के मास्क पहनने पर भी रोक लगाने की मांग की गई। हालांकि, स्विट्जरलैंड की तत्कालीन सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। सत्तासीन दल का यह तर्क था कि महिलाएं क्या पहनेंगी, इसका फैसला सरकार नहीं कर सकती।
यूनिवर्सिटी ऑफ ल्यूसर्न की 2021 के एक रिसर्च के मुताबिक, स्विट्जरलैंड में न के बराबर ही कोई बुर्का या नकाब पहनने का चलन है। यहां सिर्फ 30 महिलाएं ही नकाब पहनती हैं। स्विट्जरलैंड की 86 लाख की आबादी में लगभग पांच फीसदी ही मुस्लिम हैं। इनमें ज्यादातर तुर्किये, बोस्निया और कोसोवो मूल के हैं।
2022 में स्विट्जरलैंड की संसद के निचले सदन राष्ट्रीय परिषद में चेहरा ढकने पर पाबंदी लगाने के मकसद से प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव को स्विस पीपुल्स पार्टी ने ही रखा था। इस दौरान 151 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में और 29 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट दिया था। विरोध में सेंट्रल और ग्रीन्स पार्टी ने मतदान किया था।
आखिरकार सितंबर 2023 में स्विस संसद ने अंतिम तौर पर प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि, स्विट्जरलैंड की सरकार ने नवंबर 2024 में ही इस पाबंदी को 1 जनवरी 2025 से लागू करने पर हामी भरी।
मुस्लिम समुदाय और एम्नेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रस्ताव के संसद में पारित होने की आलोचना की थी। एक बयान में एम्नेस्टी ने इसे महिलाओं के अधिकार के उल्लंघन की खतरनाक नीति करार दिया था और इसे अभिव्यक्ति और धर्म की आजादी का भी उल्लंघन करार दिया गया था।
इस कानून के तहत अब स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थलों पर नाक, मुंह और आंखें ढकने पर प्रतिबंध है। इतना ही नहीं यह प्रतिबंध उन निजी जगहों पर भी लागू होंगे, जहां आम जनता जा सकती है। हालांकि, इसमें कुछ छूट भी दी गई हैं। यह प्रतिबंध विमानों और राजनयिक परिसरों में लागू नहीं है। इसके अलावा पूजास्थलों और धार्मिक स्थलों पर भी चेहरे को मान्यताओं के अनुसार ढका जाता सकता है।
इतना ही नहीं स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से चेहरा ढकने की छूट जारी रहेगी। मसलन किसी संक्रमण या बीमारी के कारण मरीज मास्क पहन सकेंगे। इसके अलावा पुलिसकर्मियों और सैनिकों के गैस मास्क पहनने पर भी छूट रहेगी। पारंपरिक रीति-रिवाजों और मौसमी स्थितियों के मद्देनजर भी चेहरा ढकने की छूट रहेगी।
किन-किन जगहों पर पहले से ही लागू है बुर्के पर प्रतिबंध?
दुनियाभर के 16 देशों में इस वक्त चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू हैं। यूरोप में सबसे पहले फ्रांस में बुर्के और अन्य तरह से चेहरा ढकने पर पाबंदी लगी थी। संसद में इसे लेकर 2011 में कानून लागू कर दिया गया था। जुलाई 2014 में इसे यूरोप की मानवाधिकार अदालत से भी मंजूरी मिल गई थी।
इसके बाद डेनमार्क में अगस्त 2018 में पूरी तरह चेहरा ढकने पर पाबंदी लगा दी गई। यहां नियम का उल्लंघन करने वाले पर 1000 क्रोन (करीब 11 हजार रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार उल्लंघन करने वालों पर यह जुर्माना 10 गुना तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अक्तूबर 2017 में ऑस्ट्रिया में सार्वजनिक जगहों जैसे- अदालतों और स्कूलों में चेहरा ढकने पर पाबंदी लगा दी गई। नीदरलैंड में जून 2018 में सार्वजनिक जगहों जैसे दफ्तरों, स्कूलों, सार्वजनिक परिवहन, रेस्तरां, दुकानों और अन्य जगहों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू हुए। हालांकि, सड़कों पर चेहरा ढकने में छूट दी गई।
बेल्जियम में पूरे चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध से जुड़ा कानून जुलाई 2011 से ही अस्तित्व में है। इसके तहत सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे कपड़े नहीं पहने जा सकते, जिससे इन्हें पहनने वालों की पहचान न की जा सके। इसके अलावा बल्गेरिया में 2016 चेहरा ढकने पर प्रतिबंध से जुड़ा कानून बनाया जा चुका है। नॉर्वे में जून 2018 में शैक्षिक संस्थानों में चेहरा ढकने पर पाबंदी लगा दी गई। कुछ ऐसे ही नियम लग्जमबर्ग में भी लागू हैं, जहां अस्पतालों, कोर्ट और सार्वजनिक इमारतों में चेहरा नहीं ढका जा सकता।
इतना ही नहीं अफ्रीका के कई देशों में भी महिलाओं के पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू हैं। खासकर 2015 में अलग-अलग देशों में एक के बाद एक हुए आत्मघाती हमलों के बाद इन नियमों को कड़ाई से लागू किया गया। चैड, गेबौन, कैमरून के उत्तरी क्षेत्र, नाइजर के दिफा और रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में सार्वजनिक स्थलों पर चेहरा नहीं ढका जा सकता। इसके अलावा अल्जीरिया में अक्तूबर 2018 से ही कार्यस्थलों पर पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू हैं।
दूसरी तरफ श्रीलंका में 2019 को ईस्टर पर हुए हमले के बाद चेहरा ढकने पर पाबंदी लगा दी गई थी। बताया जाता है कि इस प्रतिबंध के निशाने पर भी मुस्लिमों द्वारा पहना जाने वाला बुर्का और नकाब था।
वहीं, चीन के शिनजियांग में भी सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का पहनने और लंबी दाढ़ी रखने पर पाबंदी है। यह प्रतिबंध मुख्यतौर पर इगुर मुस्लिमों को निशाना बनाने के मकसद से लागू हैं।