मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच के दूसरे भाग में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के साथ रोमांचक होने की उम्मीद है। पर्थ टेस्ट में भारत को 295 रन की बड़ी जीत मिली, लेकिन पैट कमिंस की ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड ओवल में गुलाबी गेंद वाले टेस्ट में 10 विकेट की जीत के साथ वापसी की। पांच मैच की टेस्ट श्रृंखला अभी 1–1 से बराबर है। मेलबर्न टेस्ट सीरीज में भारत की किस्मत का फैसला कर सकता है। मौजूदा पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में बॉक्सिंग डे टेस्ट भारत के लिए ‘बनाने या बिगाड़ने’ वाला हो सकता है।
रोहित शर्मा पर दबाव है, जिन्होंने अपने पिछले पांच टेस्ट नहीं जीते हैं, लेकिन उनमें से चार हार गए हैं। बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के बाद से, रोहित को परेशानियों का सामना करना पड़ा है क्योंकि उन्होंने बल्ले से भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। भारतीय कप्तान क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अभ्यास के लिए उतरने वाले आखिरी खिलाड़ी थे और कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अभी तक अच्छा प्रदर्शन करने वाले केएल राहुल की जगह पारी की शुरुआत कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो राहुल को फिर तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरना पड़ेगा। इस तरह की स्थिति में शुभमन गिल को या तो मध्य क्रम में उतरना होगा या फिर उन्हें ध्रुव जुरेल के लिए जगह खाली करनी होगी।
रोहित मध्यक्रम में असफल रहे और अभी तक तीन पारियों में उनके नाम पर केवल 19 रन दर्ज हैं। अब अगर उन्हें सलामी बल्लेबाज के रूप में उतारा जाता है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय टीम का बल्लेबाजी क्रम का संयोजन कैसा होगा। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया की टीम लय में है, हालांकि वे ब्रिस्बेन के गाबा में तीसरे टेस्ट में जीत हासिल नहीं कर सके। भारत को एमसीजी में खेलने में मजा आता है, खासकर टेस्ट क्रिकेट में। भारत ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर 10 टेस्ट जीते हैं, जिनमें से चार मेलबर्न के प्रतिष्ठित स्थल पर जीते हैं। 1977 में बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में भारत ने 222 रनों से जीत हासिल की थी, जिसके बाद 1981 में सुनील गावस्कर एंड कंपनी ने 59 रनों से जीत हासिल की थी। वास्तव में, भारत ने मेलबर्न में अपना दबदबा दिखाते हुए बैक-टू-बैक टेस्ट जीते थे।
दोनों कप्तानों का मानना है कि श्रृंखला के अभी तक के परिणाम से दोनों टीम के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा का पता चलता है लेकिन मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर चीजें तेजी से बदल सकती हैं। भारत का ऑस्ट्रेलिया में यह पसंदीदा मैदान रहा है जहां उसने 2014 से कोई टेस्ट मैच नहीं गंवाया है। भारत ने यहां अपने पिछले जो टेस्ट मैच में जीत दर्ज की है। लेकिन इस बार तीन युवा धुरंधरों (यशस्वी जायसवाल, ऋषभ पंत औरशुभमन गिल), आत्मविश्वास से भरे सलामी बल्लेबाज (केएल राहुल) और कुछ उम्रदराज़ दिग्गजों (विराट कोहली और रोहित) के साथ यह टीम बहुत आश्वस्त नहीं दिख रही है। ऑस्ट्रेलिया की टीम अतीत की तरह अब मजबूत दावेदार नजर नहीं आती है लेकिन इसके बावजूद अगर भारत को एमसीजी पर अपना विजय अभियान जारी रखना है तो उसकेबल्लेबाजों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
कोहली को अपने अंदर का चैंपियन जगाना होगा तथा जब पैट कमिंस और मिशेल स्टार्क ऑफ स्टंप से बाहर गेंदबाजी करके उनकी परीक्षा लेंगे तब इस स्टार बल्लेबाज को संयम बरतना होगा। जोश हेजलवुड की अनुपस्थिति के बावजूद ऑस्ट्रेलिया का आक्रमण कमजोर नहीं नजर नहीं आता है क्योंकि स्थानीय खिलाड़ी स्कॉट बोलैंड अपनी सटीक लेंथ और उछाल भरी गेंदों से भारतीय बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं। जायसवाल, गिल और पंत को अपनी अपेक्षाओं पर ही खरा उतरना होगा तथा बिना किसी दबाव के मैदान पर उतरना होगा जैसा कि कप्तान भी चाहते हैं। जहां तक ऑस्ट्रेलिया की बात है तो सभी की निगाहें इस पर टिकी होंगी कि टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के लिए तैयार 19 वर्षीय सलामी बल्लेबाज सैम कोंस्टास तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का किस तरह से सामना करते हैं। वह इससे अच्छी तरह वाकिफ है कि बुमराह उनके पूर्ववर्ती नाथन मैकस्वीनी का करियर अधर में लटका चुके हैं।