दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को रद्द कर दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूजा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पर सिविल सेवा परीक्षा में कथित धोखाधड़ी और ओबीसी-दिव्यांगता कोटे का गलत लाभ उठाने का केस दर्ज है।
पूजा ने पुणे के श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। बाद में 2021 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा 841 वीं रैंक के साथ उत्तीर्ण की। ट्रेनिंग के बाद इसी वर्ष जून 2024 में उन्हें पुणे कलेक्टर आफिस में पहली नियुक्ति मिली। हालांकि पहली ही नियुक्ति में ट्रेनिंग के दौरान उन पर जांच बैठ गई और इसी बीच उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
दरअसल, पूजा पर आरोप है कि दफ्तर ज्वाइन करने से पहले ही उन्होंने अनुचित मांगे शुरू कर दी। कलेक्ट्रेट के कई अफसरों ने इस संबंध में कलेक्टर के पास लिखित शिकायत दी है। जिसके बाद पुणे के डीएम सुहास दिवसे ने मुख्य सचिव से उनकी शिकायत की।
पूजा पर लगे आरोप
– पूजा खेडकर पर आरोप है कि ट्रेनिंग पीरियड के दौरान उन्होंने सरकारी आवास, स्टाफ, गाड़ी और दफ्तर में अलग केबिन की मांग की।
– अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का लोगो लगाया।
– उन्होंने चोरी के आरोप में गिरफ्तार एक ट्रांसपोर्टर को छोड़ने के लिए डीसीपी रैंक के अधिकारी पर दबाव बनाया।
– उन्होंने आईएएस बनने के लिए झूठे दस्तावेज का इस्तेमाल करते हुए यूपीएससी के फार्म में खुद को ओबीसी नाॅन क्रीमी लेयर बताया।
– पूजा समृद्ध परिवार से हैं। वह खुद लगभग 17 करोड़ की संपत्ति की मालकिन हैं।
– पूजा ने विकलांगता श्रेणी के तहत यूपीएससी का आवेदन पत्र भरा था। दावा किया गया कि वह 40 फीसदी दृष्टिबाधित हैं और किसी मानसिक बीमारी से जूझ रही हैं। हालांकि – मेडिकल के दौरान वह हर बार नहीं पहुंची।
– एमबीबीएस कॉलेज में दाखिले के समय भी दस्तावेजों की हेर-फेर के आरोप पूजा पर हैं।