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भारत के बिना दुनिया में शांति संभव नहीं है: मोहन भागवत का बड़ा बयान

नई दिल्ली हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में शांति की बातें की जा रही हैं, लेकिन युद्ध नहीं रुक रहे। बहुत से लोग मानते हैं कि भारत के बिना दुनिया में शांति संभव नहीं है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भारत को अक्सर अपने अल्पसंख्यकों के मुद्दों का समाधान करने की सलाह दी जाती है। मगर अब हम अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति देख रहे हैं।

‘अल्पसंख्यकों को करना पड़ रहा परेशानियों का सामना’
हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि दुनिया में शांति की बातें की जा रही हैं, लेकिन युद्ध नहीं रुक रहे। उन्होंने यह भी कहा कि हमें भारत में अल्पसंख्यकों के बारे में सलाह दी जाती है, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदायों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

‘मनुष्य का धर्म सभी धर्मों का मूल’
आरएसएस प्रमुख ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का कोई जिक्र नहीं किया। हालांकि, हाल के हफ्तों में आरएसएस ने शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद उस देश में हिंदुओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। भागवत ने कहा, ‘मनुष्य का धर्म (मानव धर्म) सभी धर्मों का मूल है, जो एक विश्व धर्म है और इसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। हालांकि, दुनिया ने इस धर्म को भुला दिया है, जिसके कारण आज पर्यावरण और अन्य समस्याएं सामने आ रही हैं।

भारत के बिना दुनिया में शांति लाना संभव नहीं: भागवत
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग मानते हैं कि भारत के बिना दुनिया में शांति संभव नहीं है, क्योंकि इसका पारंपरिक ज्ञान और अनुभव ही इसे साकार कर सकता है, जैसा कि पिछले 3,000 वर्षों से दिखाया गया है। भारत का यह जिम्मा है कि वह दुनिया को शांति की दिशा में मार्गदर्शन करे।

राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के योगदान को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता: एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के संस्थापक डॉ. केबी हेडगेवार की स्मृति स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि कोई भी आरएसएस के राष्ट्र निर्माण में योगदान को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

संघ से सिखना चाहिए कैसे बिना उम्मीद के करना चाहिए काम
शिंदे ने नागपुर के रेशमीबाग में डॉ. हेडगेवार स्मृति स्थल का दौरा करने के बाद पत्रकारों से कहा कि संघ परिवार और शिवसेना की विचारधारा एक जैसी है। उन्होंने बताया कि वह बचपन से संघ परिवार से जुड़े हुए हैं और पहले संघ शाखा में शामिल हुए, फिर शिव सेना शाखा में गए। उन्होंने कहा कि संघ परिवार और शिव सेना की विचारधारा एक ही है, और संघ परिवार से यह सिखना चाहिए कि बिना किसी उम्मीद के काम कैसे करना चाहिए।

शिंदे ने यह भी कहा कि संघ का कार्य बिना किसी स्वार्थ के होता है और संघ की शिक्षा समाज को एकजुट करने की होती है, न कि बांटने की। उन्होंने कहा कि हेडगेवार के स्मारक पर जाकर एक नई ऊर्जा मिलती है। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, परिषद की उपसभापति नीलम गोरे और सत्ताधारी दलों के अन्य विधायक भी श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे और संघ के पदाधिकारियों से संघ के बारे में जानकारी ली।