असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य को विरोधियों से घिरे रहने के बाद भी जीवित रहने के लिए इजराइल से सबक लेना होगा। सोनितपुर जिले के जमुगुरीहाट में ‘स्वाहिद दिवस’ के अवसर पर एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात करते हुए सरमा ने कहा कि असम की सीमाएं कभी भी सुरक्षित नहीं थीं। मुख्यमंत्री ने राज्य के युवाओं से इजराइल के उत्थान का अध्ययन करने और देश से सीखने का आह्वान किया कि आत्मनिर्भरता किसी राष्ट्र को आगे बढ़ाने में कैसे चमत्कार कर सकती है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, हमने बांग्लादेश, म्यांमार और पश्चिम बंगाल के साथ सीमाएँ साझा की हैं। हम (असमिया लोग) 12 जिलों में अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने कहा कि हमें इजराइल जैसे देशों के इतिहास से सीखना होगा कि कैसे ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके और अदम्य साहस के साथ दुश्मनों से घिरा हुआ भी एक मजबूत देश बन गया है। तभी हम एक ‘जाति’ के रूप में जीवित रह सकते हैं। ‘स्वाहिद दिवस’ खड़गेश्वर तालुकदार की मृत्यु की याद दिलाता है, जिन्हें छह साल तक चले असम आंदोलन का पहला “शहीद” माना जाता है, जो 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें इतिहास के काले दिनों को नहीं भूलना चाहिए जब असम के 800 से अधिक निर्दोष और देशभक्त लोग अपने प्रिय राज्य के सम्मान को बनाए रखने की कोशिश में मारे गए थे। इस अवसर पर सरमा ने कहा कि राज्य सरकार असम के लोगों की पहचान बनाए रखने और उनका विकास सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है। सरकार घुसपैठियों के प्रभाव को सीमित करने के लिए परिसीमन की दिशा में भी काम कर रही है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने 10 हजार हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है।