भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में शक्तिकांत दास की जगह संजय मल्होत्रा ने ली है। संजय मल्होत्रा ने पद संभालने के पहले कहा कि वो नए पद को समझने के बाद सबसे पहले अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सभी बेहतर कदम उठाएंगे। संजय मल्होत्रा ने नई दिल्ली में कहा कि हमें क्षेत्र, सभी दृष्टिकोणों को समझना होगा। सबसे जरुरी है कि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा काम करना होगा।
राजस्थान कैडर के 1990 बैट के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी मल्होत्रा ने बुधवार को ही केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाला है। बता दें कि मौजूदा आरबीआई गवर्नर पर जीडीपी वृद्धि को सहारा देने के लिए दरों में कटौती करने का भारी दबाव होने वाला है। गौरतलब है कि जीडीपी दर जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान लगभग दो वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
राजस्व सचिव के तौर पर किया काम
संजय मल्होत्रा ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की है। 56 वर्षीय आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नियुक्ति से पहले वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में काम किया है। उन्होंने मुद्रास्फीति और विकास पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मुझे पहले सभी चीजें समझने दीजिए।”
बता दें कि बीते सप्ताह ही आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए लगभग दो साल से बेंचमार्क नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले मुंबई में आरबीआई गवर्नर के तौर पर अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शक्तिकांत दास ने कहा, “मुद्रास्फीति-विकास संतुलन को बहाल करना रिजर्व बैंक के सामने सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में आरबीआई की टीम इसे आगे लेकर जाएगी।”
भारत इस समय आर्थिक विकास में मंदी और उच्च मुद्रास्फीति की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है। आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो जुलाई-सितंबर की अवधि में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई, जबकि अक्टूबर में मुख्य मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई।
सरकार ने आरबीआई को निर्देश दिया है कि वह हेडलाइन मुद्रास्फीति को 4% पर बनाए रखे, जिसमें दोनों तरफ 2 प्रतिशत का अंतर हो। दूसरी तिमाही के खराब आंकड़ों के कारण, RBI ने पिछले सप्ताह चालू वित्त वर्ष के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत के अपने पहले के पूर्वानुमान से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया। इसने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 4.5 प्रतिशत के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों ने हाल ही में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की वकालत की है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में ब्याज दरों में जल्द कटौती की वकालत करते हुए कहा कि उधार लेने की लागत “बहुत तनावपूर्ण” है और निजी निवेश को बढ़ाने के लिए एक किफायती उधार दर की आवश्यकता है, जबकि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हुए कहा कि ब्याज दरों के माध्यम से खाद्य मुद्रास्फीति को लक्षित करना एक “त्रुटिपूर्ण सिद्धांत” है।