बिना नाम लिए चीन को संदेश देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत का मानना है कि वैश्विक समस्याओं का दीर्घकालिक हल तभी निकाला जा सकता है, जब देश एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि दुनिया में ध्रुवीकरण बढ़ता जा रहा है, इसलिए समय आ गया है कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को और ज्यादा गहराई से अपनाया जाए।
दक्षिण चीन सागर के लिए प्रस्तावित आचार संहिता पर राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के लिए नौवहन, उड़ान की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसी आचार संहिता देखना चाहेगा, जिससे अलग-अलग देशों के हित पर उल्टा असर न पड़े। रक्षा मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि कोई भी आचार संहिता पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह संहिता अंतराष्ट्रीय कानून खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून 1982 का पालन करती हो।’’
आसियान देशों की अहम बैठक में भारत को मिला है न्योता
बता दें कि आसियान (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन्स) देशों की यह बैठक चीन के साथ उनके दक्षिण चीन सागर में जारी विवादों के बीच हो रही है। इसे लेकर आसियान में शामिल देश लाओस में चीन से सीधी बात कर रहे हैं। हालांकि, इस बैठक में आसियान के बाहर के जिन देशों को बुलाया गया है, उनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं।
दक्षिण चीन सागर को लेकर आसियान में शामिल फिलीपींस के अलावा वियतनाम, मलयेशिया, ब्रुनेई के चीन से विवाद हैं। इन्हीं मुद्दों को उठाने के लिए आसियान के अन्य सदस्य देश- इंडोनेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, सिंगापुर, लाओस और कंबोडिया साथ आए हैं और बैठक कर रहे हैं।