कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा लगभग 150 करोड़ रुपये की बिजली बकाया का भुगतान करने में विफल रहने के बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिल्ली में हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश जारी किया। हिमाचल भवन राष्ट्रीय राजधानी में मंडी हाउस में स्थित है। अदालत ने बिजली विभाग के प्रधान सचिव को लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने के लिए तथ्यान्वेषी जांच करने का भी निर्देश दिया है, जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई।
कोर्ट का यह फैसला सुक्खू सरकार द्वारा 64 करोड़ रुपये चुकाने के पिछले आदेशों की अनदेखी के बाद आया है, जो अब ब्याज के कारण बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गया है। सूत्रों ने बताया कि मामला लाहौल-स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के सेली हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़ा है। पहले की कार्यवाही में सरकार को कंपनी द्वारा जमा कराए गए 64 करोड़ रुपये और 7 प्रतिशत ब्याज लौटाने का आदेश दिया गया था। अदालत ने पहले सरकार को चेतावनी दी थी कि बकाया नहीं चुकाने पर गंभीर परिणाम होंगे। इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया कि इसमें शामिल धनराशि राज्य के खजाने से थी।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली में हिमाचल भवन को कुर्क करने की खबरों पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैंने उच्च न्यायालय का आदेश नहीं पढ़ा है लेकिन अग्रिम प्रीमियम एक नीति पर आधारित है जिसके तहत जब 2006 में ऊर्जा नीति बनाई गई थी, तो मैं मुख्य वास्तुकार था। हमने प्रति मेगावाट रिजर्व प्राइस रखा था, जिस पर कंपनियों ने बोली लगाई थी। अग्रिम प्रीमियम के मामले में मध्यस्थता द्वारा निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मध्यस्थता आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में गई और सरकार को मध्यस्थता में 64 करोड़ रुपये जमा करने पड़े। मैंने इस संबंध में जानकारी ली है और हम इस प्रकार के आदेश के बारे में अध्ययन करेंगे।