इससे पहले रविवार को जिरीबाम में एक और व्यक्ति का शव मिला था, जिसकी पहचान अभी नहीं हो पाई है और शव को जिला अस्पताल में रखा गया है। इंफाल घाटी में असहज शांति बनी हुई है, जहां प्रदर्शनकारियों द्वारा कई मंत्रियों और विधायकों की संपत्ति में तोड़फोड़ और आगजनी के बाद कर्फ्यू लागू है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। रविवार को दवा की दुकानों को छोड़कर अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन भी बंद रहा। सुरक्षा बलों ने इंफाल के कई हिस्सों में गश्त तेज कर दी है और खासकर विधायकों के कई आवासों के साथ-साथ सचिवालय, राज्य भाजपा मुख्यालय और राजभवन की ओर जाने वाली सभी प्रमुख सड़कों पर तैनाती बढ़ा दी है।
एनपीपी ने भाजपा सरकार से वापस लिया समर्थन
वहीं 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में सात विधायकों वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। पार्टी ने दावा किया कि एन बीरेन सिंह सरकार पूर्वोत्तर राज्य में ‘संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है।’ हालांकि, समर्थन वापस लेने से भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भगवा पार्टी के पास अपने 32 विधायकों के साथ बहुमत है। भाजपा को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच विधायकों और जेडी(यू) के छह विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।
जिरीबाम में एक शिविर से छह लोगों के लापता होने और बाद में उनके शव मिलने के बाद से मणिपुर में हिंसा का नया दौर शुरू हो गया है। इससे पहले सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 10 कुकी युवकों की मौत हो गई थी। पिछले साल मई में मैतेई और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें अब तक 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।