नई दिल्ली
देश में बैंक एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट, 1993 के तहत कर्जदारों से कर्ज की वसूली के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण की स्थापना की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए देशभर में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debt Recovery Tribunals) में खाली पड़े पदों को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की सदस्यता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता निश्चय चौधरी की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में याचिकाकर्ता ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण में खाली पड़े पदों को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा है।
एक तिहाई ऋण वसूली न्यायाधिकरण नहीं कर रहे काम
याचिका में कहा गया है कि देश भर में एक तिहाई यानी कि 39 ऋण वसूली न्यायाधिकरण संचालित नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनमें पीठासीन अधिकारी के पद खाली पड़े हैं। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की वसूली का न्यायाधिकरण का मुख्य काम ही प्रभावित हो रहा है। गौरतलब है कि देश में बैंक एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट, 1993 के तहत कर्जदारों से कर्ज की वसूली के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण की स्थापना की गई थी। याचिका के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक 11 डीआरटी बिना पीठासीन अधिकारी के काम कर रहे हैं, इससे उनके मामलों को निपटाने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित है। इससे इन न्यायाधिकरणों के गठन का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा है।
याचिका में कहा गया है कि देश भर में एक तिहाई यानी कि 39 ऋण वसूली न्यायाधिकरण संचालित नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनमें पीठासीन अधिकारी के पद खाली पड़े हैं। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की वसूली का न्यायाधिकरण का मुख्य काम ही प्रभावित हो रहा है। गौरतलब है कि देश में बैंक एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट, 1993 के तहत कर्जदारों से कर्ज की वसूली के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण की स्थापना की गई थी। याचिका के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक 11 डीआरटी बिना पीठासीन अधिकारी के काम कर रहे हैं, इससे उनके मामलों को निपटाने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित है। इससे इन न्यायाधिकरणों के गठन का उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा है।
वित्त मंत्रालय से पूरा रिकॉर्ड पेश करने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को डीआरटी में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति और उनके चयन के संबंध में पूरा रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए। साथ ही समय पर डीआरटी में नियुक्तियां की जाने की भी मांग की गई है ताकि इन न्यायाधिकरणों का काम सुचारू रूप से जारी रहे। साथ ही मांग की गई है कि जो न्यायाधिकरण संचालित नहीं हो रहे हैं, उनके कर्मचारियों को अन्य न्यायाधिकरणों में समायोजित किया जाए। याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी जवाब मांगा है।
याचिका में मांग की गई है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को डीआरटी में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति और उनके चयन के संबंध में पूरा रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए। साथ ही समय पर डीआरटी में नियुक्तियां की जाने की भी मांग की गई है ताकि इन न्यायाधिकरणों का काम सुचारू रूप से जारी रहे। साथ ही मांग की गई है कि जो न्यायाधिकरण संचालित नहीं हो रहे हैं, उनके कर्मचारियों को अन्य न्यायाधिकरणों में समायोजित किया जाए। याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी जवाब मांगा है।