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सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी

नई दिल्ली

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन ‘ग्लोबल पीस इनीशिएटिव’ के अध्यक्ष केए पॉल की याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, याचिका में पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुमाला तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के संबंध में टीडीपी वाली आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई थी।

इस शख्स ने दायर की थी याचिका
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन ‘ग्लोबल पीस इनीशिएटिव’ के अध्यक्ष केए पॉल की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा, ‘आपकी प्रार्थना के अनुसार हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग-अलग राज्य बनाना होगा। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए एक अलग राज्य बनाया जाए। इसलिए हम इस याचिका को खारिज करते हैं।’

पॉल ने अपनी याचिका में लड्डू प्रसादम की खरीद और इसकी तैयारी में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से व्यापक जांच कराने की मांग की थी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने दिया था यह आदेश 
शीर्ष अदालत ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए तिरुपति के लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए पशुओं की चर्बी के आरोपों की जांच के लिए चार अक्तूबर को पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। पीठ ने निर्देश दिया था कि स्वतंत्र एसआईटी में सीबीआई और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारी तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

प्रसाद की पवित्रता धूमिल हुई: याचिकाकर्ता
पॉल ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों से श्रद्धालुओं में गंभीर चिंता पैदा हो गई है और इस प्रसाद की पवित्रता धूमिल हुई है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और मौलिक धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला गया है, जो धर्म का अभ्यास और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

उन्होंने कहा, ‘इसकी पवित्रता के साथ कोई भी समझौता न केवल लाखों भक्तों को प्रभावित करता है, बल्कि इस संस्थान की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। मैंने श्रद्धालुओं के हित में और यह सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की है कि राजनीतिक जोड़तोड़ और भ्रष्टाचार हमारी पवित्र परंपराओं को कमजोर न करे।’