ब्रिटेन के राजा चार्ल्स को शुक्रवार को अपने देश के अतीत के लिए काफी कुछ सुनना पड़ा। दरअसल राष्ट्रमंडल देशों ने ब्रिटेन पर भयावह अतीत के लिए क्षतिपूर्ति देने की मांग की है। राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान गुलामी और साम्राज्य की विरासत के मुद्दे पर खूब बहस हुई। समोआ में आयोजित हुए शिखर सम्मेलन में 56 राष्ट्रमंडल देशों के नेता शामिल हुए। इनमें से अधिकतर पूर्व औपनिवेशक देश हैं।
शिखर सम्मेलन के दौरान उठी ये मांग
यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर एकजुट होने के लिए आयोजित किया गया था, लेकिन राजा के रूप में किंग चार्ल्स तृतीय का यह पहला शिखर सम्मेलन अतीत की छाया से घिरा रहा। कई अफ्रीकी, कैरिबियन और प्रशांत देशों ने मांग की कि ब्रिटेन समेत अन्य यूरोपीय शक्तियां उन्हें अतीत में गुलाम बनाने के लिए वित्तीय क्षतिपूर्ति का भुगतान करें। शिखर सम्मेलन के दौरान बहामास के प्रधानमंत्री फिलिप डेविस ने कहा कि अतीत के बारे में बहस बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ‘अब समय आ गया है कि हम इस बारे में इन ऐतिहासिक गलतियों पर बातचीत करें। दासता की भयावहता ने हमारे समुदायों में एक गहरा, पीढ़ीगत घाव छोड़ा है, और न्याय की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।’
किंग चार्ल्स ने कहा- अतीत को कोई नहीं बदल सकता
राष्ट्रमंडल देश चाहते हैं कि क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा हो। साथ ही ब्रिटेन के शाही परिवार, जिसने सदियों से दासता से लाभ उठाया है, उसे भी माफी मांगने के लिए कहा गया है। शुक्रवार को किंग चार्ल्स ने कहा, ‘मैं राष्ट्रमंडल भर के लोगों को सुनने के बाद समझता हूं कि हमारे अतीत के सबसे दर्दनाक पहलू आज भी गूंज रहे हैं। हममें से कोई भी अतीत को नहीं बदल सकता, लेकिन हम अपने पूरे दिल से इसके सबक सीखने और असमानताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’